Tokyo Olympic 2020 : पिता ने हॉकी दिलाने से किया इनकार तो पड़ोसी ने खरीदी, मां बोली आज बेटे ने कर्ज उतार दिया

हॉकी प्रेमी दशकों से जिस पल का इंतजार कर रहे थे आखिरकार आज वो नसीब हो गया। 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम के पदकों का सूखा आज खत्म हुआ है।
कांस्य पदक जीतने के बाद भारत ने इस तरह बनाई खुशी
कांस्य पदक जीतने के बाद भारत ने इस तरह बनाई खुशी

Tokyo Olympic 2020 : हॉकी प्रेमी दशकों से जिस पल का इंतजार कर रहे थे आखिरकार आज वो नसीब हो गया। 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम के पदकों का सूखा आज खत्म हुआ है। ओलंपिक 2020 में जर्मनी को 5-4 से हराकर भारतीय टीम ने कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया। भारत ने आखिरी बार 1980 में ओलंपिक का गोल्ड जीता था। इसके बाद हॉकी में कभी कोई पदक हासिल नहीं हुआ। 1980 से पहले 1972 में भारत ने कांस्य पदक जीता था।

हॉकी में मेडल वाली इस जीत के बाद खिलाड़ियों के घर जश्न का माहौल है। भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली टीम के खिलाड़ियों में से एक सुरेंदर कुमार की कहानी बेहद रोचक है।

उनकी मां ने मैच में जीत के बाद आजतक से बातचीत में बताया कि सुरेंदर कुमार 6ठी क्लास में थे जब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया।

जब उन्होंने मां से कहा कि मैं हॉकी खेलना चाहता हूं तो मां ने कहा कि तुम हॉकी में कुछ नहीं कर पाओगे। लेकिन खेल के प्रति सुरेंदर का जुनून कुछ अलग ही था।

पिता ने हॉकी दिलाने से किया इनकार तो पड़ोसी ने खरीदी

Tokyo Olympic 2020 : सुरेंदर ने पिता से हॉकी स्टिक की मांग की लेकिन उन्होंने हॉकी स्टिक खरीदने से इनकार कर दिया। इसके बाद सुरेंदर के एक पड़ोसी थे जिनका नाम पुरषोत्तम था। उन्होंने सुरेंदर को 500 रुपये की हॉकी खरीदकर दी। इसके बाद सुरेंदर ने हॉकी खेलना शुरू किया। इसी दौरान उनके कोच गुरविंदर पहुंचे और बोले कि इसे हॉकी खेलने दो, ये कुछ कर दिखाएगा।

आज बेटे ने कर्ज चुका दिया और पूरे देश को खुशी दे दी

इसके बाद सुरेंदर की मां ने उन्हें हॉकी स्टिक दिलवाई। इसके बाद सुरेंदर के खेल को देखकर उनकी मां ने अपना पूरा जोर उस पर लगा दिया। वो बताती हैं कि उन्होंने अपने लिए चीजों में कमी जरूर की लेकिन कभी बच्चे के खेल के लिए किसी चीज की कमी नहीं होने दी। आज जब टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है तो उनकी मां का कहना है कि आज बेटे ने कर्ज चुका दिया और पूरे देश को खुशी दे दी।

कैसा रहा कांस्य पदक वाला मुकाबला?

आज का मुकाबला बेहद कांटे का था। यूं कहें कि मैच में ऐसे कई पल आए जब देशवासियों की धड़कनें तेज हो गईं। भारत पहले क्वॉर्टर में एक गोल से पिछड़ा हुआ था। भारत के सिमरनजीत ने दूसरे क्वॉर्टर के शुरुआती मिनटों में गोल दागकर हिसाब बराबर कर लिया। लेकिन जर्मनी ने फिर दूसरा गोल दागा और दूसरे क्वॉर्टर के खत्म होने से छह मिनट पहले तीसरा गोल दाग दिया।

भारत की ओर से हार्दिक सिंह और हरमनप्रीत सिंह ने गोल कर भारत को 3-3 की बराबरी दिला दी।

इसके बाद भारत की ओर से हार्दिक सिंह और हरमनप्रीत सिंह ने गोल कर भारत को 3-3 की बराबरी दिला दी। तीसरे क्वॉर्टर के तीसरे मिनट में रुपिंदर पाल सिंह ने पेनाल्टी स्ट्रोक पर गोल दागकर भारत को 4-3 से बढ़त दिला दी। इसके बाद सिमरनजीत ने भारत की ओर से 5वां गोल दाग दिया और भारत ने मैच को 5-4 से अपने नाम कर लिया।

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com