स्पेशल न्यूज – "गलतफहमिंया दूर हो जाती है कि मैं इंसान हूं,
जब पूछता है समाज, की क्या जाति है तूम्हारी…"
मेरे देश में लोग नाम से पहले जात पूछते है। बेहद साधारण रचना है लेकिन विषय गंभीर है।
सोशल मीडिया के इस जमाने में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के जरिए आम आदमी अपनी बात लोगो तक सरकारों तक पंहुचाता है, लेकिन भारत में जातिवाद की जड़ें बेहद ही अंदर तक जमी है, जिन्हें निकाला बेहद ही कठिन है। आज हमारे समाज में पढ़े-लिखों की तादाद लगातार बढ़ रही है। लेकिन जातिवाद कम नहीं हो रहा है। अब इसका असर इतना फैल चुका है कि जातिवाद सोशल मीडिया साइट्स पर भी दिखने लगा। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर यूजर्स ने जातिवाद करने का आरोप लगाया है।
इसी के चलते इन दिनों भारत में ट्विटर के खिलाफ दलित, पिछड़े औऱ अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय के कई लोग मुहिम छेड़े हुए है, आखिर क्यों? आज हम आपको ट्विटर पर होते ST, SC, OBC और मुस्लिमों पर अत्याचार की पूरी कहानी बताएंगें। और करीब सात दिनों तक ट्विटर पर ट्विटर के खिलाफ चली मुहिम को समझाने कोशिश करेंगे।
आज हम आपकों ये भी बताएगें की ट्वीटर की वेरिफाई पॉलिसी आखिर है क्या? और जो लोग इसका विरोध कर रहे है क्या वे वाकई में ब्लूटिक के लायक है भी या नहीं, या फिर ट्विटर भी जातिवाद की चपेट में आ गया है।
ट्विटर पर जातिवाद के आरोप लगने तब शुरू हुए जब माखन लाल पत्रकारिता यूनिर्वसिटी के मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में एडजंट प्रोफेसर दिलीप मंडल का ट्विटर ने उनका अंकाउट संस्पेंड कर दिया। हालाकि कुछ दिनों बाद उनके अकाउंट को बहाल कर दिया गया। और उसे वेरिफाईड भी कर दिया गया। दिलीप मंडल इंडिया टूडे में मैनेजिंग एडिटर रह चुके है और समाजशास्त्र और पत्रकारिता पर किताबें लिख चुके है। दिलीप सी मंडल के अकाउंट को सस्पेंड करने के बाद शुरू हुये विवाद पर ट्विटर ने सफाई दी थी कि उन्होंने एक लेखक से जुड़े संपर्क विवरण को ट्वीट करके प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उनके अकाउंट को बहाल कर दिया गया और उसे वेरिफाई भी किया,
लेकिन इसके बाद से भारत में ट्विटर के खिलाफ जंग शुरू हो गई और तरह-तरह के हैशटैग चलाए गए, जैसे #cancelallBlueTicksinIndia, #TwitterHatesSCSTOBCMuslims, #CasteistTwitter या फिर #JaiBhimTwitter
दलित समाज से जूडे कई लोगों का आरोप है कि ट्विटर उनके साथ भेदभाद कर रहा है, उनका आरोप है कि ट्विटर हजारों की संख्या में फॉलोअर होने के बावजूद उन्हें ब्लूटिक देने या उनके अकाउंट को वेरिफाई करने में आना-कानी कर रहा है।
राजस्थान के करौली के रहने वाले ट्राइबल आर्मी के फांउडर हंसराज मीणा ने इस मुहिम में लोगों को साथ लाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और उन्होने ट्विटर के खिलाफ कई तरह के हैशटैग टैंड करवाए। और इसका फायदा ये हुआ कि हंसराज मीणा के अंकाउट को ट्वीटर ने वेरिफाई कर दिया है और उन्हें भी ब्लूटिक मिल गया है। हालाकि हंसराज मीणा का अंकाउट भी ट्वीटर ने संस्पेंड कर दिया था।
लगातार अंकाउट सस्पेंड होने के बाद ट्वीटर विरोधी आंदोलन ने तेजी पकडी, प्रोफेसर दिलीप मंडल का कहना है कि ट्विटर ने संवाद के मंच को अलोकतांत्रिक मनमाना और वर्गीकृत कर दिया है। सोशल मीडिया साइट में कुछ लोग नेतृव्य करने की क्षमता में रहते है और कुछ लोग सिर्फ बात सुनने या पढ़ने तक ही सीमित है या वह भी नहीं, जबकि ट्विटर तो माध्यम का बडा मंच है, ट्विटर के माध्यम से विचार बनते है ऐसे में पिछडे तबके के बहुत से ऐसे वक्ता है जिनके लाखों फॉलोअर है,लेकिन ट्विटर उन्हें ब्लू टिक या वेरिफाई नहीं करता है
दिलीप मंडल सवाल करते है कि आखिर भारत में ट्विटर की वेरिफाई करने की नीती क्या है और क्या उस नीति को पारदर्शिता के साथ लागू किया जा रहा है, मंडल की मांग है कि या तो ट्विटर सभी को वेरिफाई कर ब्लू टिक दें या फिर भारत में सभी से ब्लू टिक वापस लें,….
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि ट्विटर को अकाउंट वेरिफेकशन नीति को सामने लेकर आना चाहिए और उसे बताना चाहिए कि आखिर किस वजह से दलित और पिछड़े वर्ग से जुड़े लोगों का अकाउंट वेरिफाई नहीं हो रहा है, उनका मानना है कि "सवाल ब्लू टिक का नहीं है बल्कि सवाल तो भागीदारी का है, पिछड़ा तबका ट्विटर पर भी अपनी भागीदारी चाहता है, पिछड़े समाज के लोगों की यह मांग वैध है और ट्विटर को सामने आकर वेरिफिकेशन प्रक्रिया के बारे में बताना चाहिए"
ट्वीटर पर लगे जातिवाद के आरोपों के बाद ट्वीटर इंडिया की ओर से कहा गया कि हम भारत में एक खुली सार्वजनिक बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है और हम अपने प्रयासों में पारदर्शी रहेंगे।
जब ट्विटर पर जातिवाद और अंकाउट वेरिफाईड को लेकर बहस हो रही थी, उसी समय ट्विटर ने कहा था कि हमारी पब्लिक वेरिफिकेशन प्रोसेस बंद है, जब हम हमारे कार्यक्रम को रिव्यू कर रहे है तो सीमित मामलों में ही अब अंकाउट वेरिफाई कर रहे है। हालाकि ट्वीटर पर सवाल इसलिए भी उठ रहे है कि जब उनका पब्लिक वेरिफिकेशन प्रोसेस बंद था इसके बाद भी उन्होनें कई लोगों के अंकाउट वेरिफाई किये है।
इस पर ट्विटर ने कहा कि "चाहे नीति की बात हो, प्रोडक्ट से जुड़े फीचर या नियमों को लागू करने की बात हो ट्विटर ने कभी पक्षपात नहीं किया, हम कभी किसी एक विचारधारा या फिर राजनीतिक दृष्टिकोण के आधार पर फैसले नहीं लेते।
आमतौर पर ट्विटर संगीत, एक्टिंग, फैशन, गर्वमेंट, पॉलिटिक्स, धर्म, जर्नलिज्म, मीडिया, खेल, बिजनेस और अन्य प्रमुख क्षेत्रों से जूडे लोगों का अंकाउट वेरिफाइड करती है, लेकिन पब्लिक वेरिफिकेशन प्रोसेस के माध्यम से ट्विटर अपनी शर्तों पर एक आम आदमी का अंकाउट भी वेरिफाई कर सकता है और उसे भी ब्लू टिक दे सकता है।