मोदी के लोकसभा में पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्रनाथ मंडल का जिक्र किया, जानिए कौन थे वो..

कैसे एक दलित शख्स पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बना और फिर कैसे उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा।
मोदी के लोकसभा में पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्रनाथ मंडल का जिक्र किया, जानिए कौन थे वो..

न्यूज – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए अपने संबोधन में जोगेंद्रनाथ मंडल का जिक्र किया तो जिज्ञासा जरूर पनपती है कि कैसे एक दलित शख्स पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बना और फिर कैसे उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा।

भारत-पाकिस्तान का विभाजन बीती बात हो चुकी है, लेकिन तुलनात्मक रूप से देखें तो पाकिस्तान आज भारत से पीछे है। यह कुंठा पाकिस्तानी राजनेताओं के बयानों और आतंकी कार्रवाइयों के जरिए समझ में भी आती है। पाकिस्तान ने लोगों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया और फिर उन्हें छोड़ दिया। चाहे फिर वो पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्रनाथ मंडल ही क्यों न हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए अपने संबोधन में जोगेंद्रनाथ मंडल का जिक्र किया तो जिज्ञासा जरूर पनपती है कि कैसे एक दलित शख्स पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बना और फिर कैसे उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा।

जोगेंद्रनाथ मंडल का जन्म 29 जनवरी 1904 को नामसुंद्रा दलित समाज में अविभाजित बंगाल में हुआ था। शुरुआती जीवन में उन्हें छुआछूत का सामना करना पड़ा। उनका राजनीतिक जीवन बंगाल में अनुसूचित जातियों के नेता के रूप में शुरू हुआ। वे 1937 में बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए और बाद में मंत्री बने। हालांकि कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद वे मुस्लिम लीग से जुड़े।

जोगेंद्रनाथ मंडल उन प्रमुख व्यक्तियों में थे जिन पर मोहम्मद अली जिन्ना को काफी विश्वास था। वे उन प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे, जिन्होंने पाकिस्तान को आधुनिक और विकसित करने का ख्वाब देखा था। वे पाकिस्तान के पहले कानून और श्रम मंत्री रहे। साथ ही वे राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों के दूसरे मंत्री थे। लीग के लिए उनका समर्थन इस विश्वास से उपजा था कि भारत में जवाहरलाल नेहरू या महात्मा गांधी की तुलना में जिन्ना के 'धर्मनिरपेक्ष पाकिस्तान' में दलित हित को बेहतर रूप से संरक्षित किया जाएगा। विभाजन के बाद वे 1947 में पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्य बने।

मुस्लिम बहुल देश में मंडल को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। खासतौर पर 1948 में जिन्ना की मौत के बाद। मार्च 1949 में मंडल ने एक विवादास्पद प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें पाकिस्तान के लिए कई सिद्धांत थे, जिनमें ब्रह्मांड पर अल्लाह की संप्रभुता, लोकतंत्र के सिद्धांत, स्वतंत्रता सभी को इस्लाम के अनुसार देखा गया।

मंडल ने अपने इस्तीफे में लिखा कि पाकिस्तान में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं, कोई सुनवाई नहीं है। हत्या-अत्याचार आम है। इसमें उन्होंने हिंदुओं पर हुए अत्याचारों का जिक्र किया और बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तन करने के बारे में बात कही है। 5 अक्टूबर 1968 में उनका निधन हो गया।

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