डेस्क न्यूज़- अफगानिस्तान में तालिबान के हमले जारी हैं। वहां के नागरिक संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में किसी और देश के लोग वहां जाने से बच रहे हैं, लेकिन इसी बीच एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कुछ जवानों की ओर से अफगानिस्तान में दोबारा से तैनाती के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने आईटीबीपी के 30 जवानों को झटका देते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि कोई भी इस खतरनाक और विकट स्थिति में वहां वापस जाने को तैयार होगा।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ताओं को आईटीबीपी जैसे सशस्त्र बलों के कर्मियों के रूप में जरूरत के आधार पर भारत में कहीं भी तैनात किया जा सकता है। हालांकि, उन्हें अफगानिस्तान में तैनात होने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं को अगस्त 2020 में अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास में सुरक्षा सहायक के रूप में तैनात किया गया था और उनका कार्यकाल दो साल की अवधि के लिए होना था। हालांकि, हमले के बढ़ने के बाद उन्हें 13 जून 2021 को भारत वापस भेज दिया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे अफगानिस्तान में दो साल के लिए रहने के हकदार थे, लेकिन दस महीने की अवधि के लिए सेवा देने के बाद ही उन्हें समय से पहले भारत में फिर से नियुक्त किया गया था।
अपनी याचिका में उन्होंने आगे कहा कि काबुल में भारतीय दूतावास में आने वाले बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मियों की जरूरत है, इसलिए उन्हें वहां जाने दिया जाए। जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान में आईटीबीपी की एक यूनिट काबुल में भारतीय दूतावास और कंधार स्थित वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा के लिए तैनात है।