एक ओर जहां रूस और यूक्रेन के बीच जंग से हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं तो वहीं वहां फंसे भारतीय छात्रों को हर पल मौत के साए से गुजरना पड़ रहा है। हर एक दो घंटे में वहां मिसाइल और बम हमले हो रहे हैं। हर कोई अपनी जान बचाने में लगा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन में भारतीय छात्रों के साथ लूटपाट की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
भारतीय छात्रों की सबसे बड़ी दिक्कत यहां से सेफली निकलने की है। दरअसल, भारतीय छात्र इंडियन एम्बेसी के एक फैसले से परेशान नजर आ रहे हैं। छात्रों के अनुसार एम्बेसी कह रही है, अपनी रिस्क पर ही आप लोग बॉर्डर पर पहुंचें, लेकिन छात्रों का कहना है कि यूक्रेन में कर्फ्यू है और बाहर नकलने वालों को गोली मारने के आदेश दिए गए हैं तो हम कैसे अपने स्तर पर बॉर्डर तक पहुंचे।
यूक्रेन के शहर में फंसी एक छात्रा ने बताया कि हम बीते 3 दिन से बंकर में फंसे हैं, इंडियन एंबेसी की ओर से हमें कोई मदद नही मिल रही हैं वहीं इंडियन गर्वनमेंट की ओर से कहा गया हैं कि आपको इंडियन एंबेंसी से पंकज नामे व्यक्ति का फोन आएगा... हमें नंबर भी दिए गए, लेकिन उनसे हमारा कोई संपर्क नहीं हो पा रहा हैं।
खारकीव में इन छत्रों की सुनिए‚ नीचे देखें वीडियो
एक अन्य छात्रा ने वीडियो में अपना फोन बता रही हैं और बता रही है कि ये इंडियन एंबेसी के रिप्रजेंटेटिव का नंबर है और हम इन्हें फोन कर रहे हैं तो वो हमारा फोन कट कर रहे हैं... हमारा फोन इग्नोर कर रहे हैं।
हम 3 दिन से यहां हैं हमारे पास फूड नहीं हैं‚ पानी नहीं हैं‚ हमारी कोई मदद नहीं कर रहा हैं। हम परेशान हैं। हम इंडियन एंबेसी से हेल्प का इंतजार कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि हमारे पास किसी तरह का कोई फूड नहीं बचा है, यदि सरकार ने हमारी मदद नहीं की तो हम हमले से तो बाद में मरेंगे भूख प्यास से पहले मर जाएंगे।
यूक्रेन में अब भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हैं। जानकारी के अनुसार कीव और खार्किव में बम और मिसाइल हमलों के बीच बंकर और मेट्रो के जरिए हजारों स्टूडेंट्स कर्फ्यू में छूट मिलने के बाद से बॉर्डर तक पहुंचने के लिए रलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं।
अब खबर आ रही है कि यूक्रेनियन भारतीय छात्रों को ट्रेन में बैठने नहीं दे रहे हैं। भारी भीड़ में इंडियन स्टूडेंट्स के साथ मिसबिहेव किया जा रहा है। इंडियन एंबेसी से हेल्प नहीं मिलने के कारण इंडियन स्टूडेंट्स पूरे दिन ट्रेन में बैठने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें बैठने नहीं दे रहे हैं।