लद्दाख. भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत के बाद गलवान घाटी में संघर्ष वाली जगह से भारतीय सैनिक भी 1.5 किमी पीछे हो गए हैं। अंग्रेजी सूत्रों के माध्यम से भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। उधर, सैन्य सूत्रों ने भी कहा है कि समझौते के तहत दोनों पक्ष विवादित इलाकों से 1 से 1.5 किमी पीछे हटेंगे और जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो दोनों देशों की सेना आगे की दिशा तय करने के लिए दोबारा बातचीत करेगी। अजित डोभाल और वांग यी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई बातचीत के बाद चीन ने अपने सैनिक 1.5 किमी पीछे हटाने शुरू कर दिए हैं।
भारत इस इलाके में पेट्रोलिंग का अपना अधिकार हमेशा के लिए खो सकता
गौरतलब है की 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ खूनी संघर्ष हुआ था। 30 जून को कमांडर लेवल की मीटिंग में हुए समझौते के मुताबिक अब भारतीय सैनिक अगले 30 दिनों तक वहां नहीं जा सकेंगे। अधिकारी के मुताबिक, यह चिंता का विषय है क्योंकि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार भारतीय क्षेत्र में आ गए थे। उनका कहना है कि अगर इसका ठोस समाधान नहीं किया गया तो भारत इस इलाके में पेट्रोलिंग का अपना अधिकार हमेशा के लिए खो सकता है और यह बहुत गंभीर विषय भी है ..
अधिकारी ने बताया, 'भारत ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक सड़क बना ली है जहां खूनी झड़प हुई थी। यहीं से आर्मी अपनी पेट्रोलिंग शुरू किया करती थी। अब समझौते के मुताबिक, भारत अब वहां तक पेट्रोलिंग नहीं कर पाएगा। डर है कि यह व्यवस्था 30 दिन से बढ़कर कहीं स्थाई न हो जाए।' अधिकारी ने कहा कि 15 जून को हुए संघर्ष की जगह के आसपास 3.5 से 4 किमी इलाके को बफर जोन घोषित कर दिया गया है।
इसलिए, अब गलवान में दोनों देशों के तरफ से 30 से ज्यादा सैनिक तैनात नहीं रह सकते हैं। दोनों सैनिकों के बीच 3.6 से 4 किमी की दूरी सुनिश्चित की गई है। उसके बाद दोनों ओर से 1-1 किमी की दूरी पर 50-50 सैनिक रह सकते हैं। यानी, कुल 6 किमी के दायरे में एक तरफ 80 से ज्यादा सैनिक नहीं रहेंगे।
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