डेस्क न्यूज- कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी। इसके लिए एसआईटी का गठन किया जाएगा। हत्या और रेप के मामलों की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई की होगी। अन्य मामलों की जांच एसआईटी करेगी। अदालत ने राज्य सरकार को हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार जांच करने में विफल रही है। चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग को हिंसा पर बेहतर भूमिका निभानी चाहिए थी। इस जांच में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर सोमेन मित्रा भी शामिल होंगे। दीदी को झटका ।
भाजपा का आरोप है कि अप्रैल-मई बंगाल चुनाव में उसकी जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया। इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने महिलाओं पर भी अत्याचार किया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 13 जुलाई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी थी। आयोग ने अदालत को हिंसा के संबंध में बताया था कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का शासन है। बंगाल हिंसा के मामलों की जांच राज्य के बाहर होनी चाहिए। कुछ न्यूज चैनलों और वेबसाइटों पर रिपोर्ट के खुलासे के बाद ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई थी। ममता ने कहा था कि आयोग को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और यह रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए थी। यह रिपोर्ट कोर्ट के सामने ही रखी जानी चाहिए थी।
एनएचआरसी मांग की थी कि बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की सीबीआई से जांच होनी चाहिए। हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की जांच होनी चाहिए। साथ ही कहा था कि बंगाल में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा से पता चलता है कि राज्य सरकार ने पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति भीषण उदासीनता दिखाई है। और हिंसा के मामलों से स्पष्ट है कि यह सत्ता पक्ष के समर्थन से हुआ है। यह उन लोगों से बदला लेने के लिए किया गया था जिन्होंने चुनाव के दौरान दूसरी पार्टी का समर्थन करने की हिम्मत की थी। वही हिंसा की इन घटनाओं में राज्य सरकार के कुछ अंग और अधिकारी मूकदर्शक बने रहे और कुछ खुद इन हिंसक घटनाओं में शामिल रहे।