अब कॉलिंग और डेटा पैक के लिए देने होगें 50 फीसदी तक एक्सट्रा चार्जेज

एयरटेल, जियों, वोडाफोन-आइडिया सभी टेलिकॉम कंपनियों ने अपने रिजार्च पैक में बदलाव करते हुए महंगे कर दिये है।
अब कॉलिंग और डेटा पैक के लिए देने होगें 50 फीसदी तक एक्सट्रा चार्जेज
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न्यूज – अब तक फ्री कॉलिंग का मजा लूट रहे ग्राहको को टेलिकॉम कंपनियों ने बडा झटका दिया है। एयरटेल, जियों, वोडाफोन-आइडिया सभी टेलिकॉम कंपनियों ने अपने रिजार्च पैक में बदलाव करते हुए महंगे कर दिये है। जियो ने कुछ दिनों पहले ही अन्य ऑपरेटर्स पर फ्री कॉलिंग खत्म करने का फैसला लिया था। अब उसके कुछ दिनों बाद ही अपने पैकेज में बदलाव करते हुए रिचार्ज पैकेज महंगे कर दिये है।

इसके साथ ही जियों के अलावा अन्य ऑपरेटर ने भी कॉलिंग और डेटा पैकेज मंहगे कर दिये है। तीन साल बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब इंडिया में डेटा और कॉलिंग चार्जेस बढ रहे है। 2016 में जियो के आने के बाद से अबतक तो सिर्फ कीमतों में कटौती की खबरें आ रही थी। लेकिन अब अचानक ऐसा फैसला टेलिकॉम कंपनियों को लेना पड़ा है।

टेलिकॉम कंपनियों की माने तो आने वाले कुछ महिनों में डेटा चार्जेस तीस फीसदी तक बढ सकते है। आपको बता दें कि भारत दुनिया में सबसे सस्ती मोबाइल सेवा देने वाला देश है।  

टेलिकॉम कंपनियों ने पहले ही साफ कर दिया था कि दिंसबर में टैरिफ चार्जेस मंहगे हो सकते है। एजीआर की वजह से कंपनिया घाटे में दिख रही है। हाल ही में घोषित हुए तिमाही के नतीजों में वोडाफोन-आइडिया को कॉपोरेट इतिहास का सबसे बडा घाटा हुआ। जुलाई –सिंतबर के आकंडो के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया को 50,921 करोड़, एयरटेल को 23,079 करोड़, का घाटा हुआ। जबकि जियो को 990 करोड़ का फायदा हुआ है।

1994 में टेलिकॉम सेक्टर को लिबरलाइज्ड किया गया था। कंपनियों को फिक्सड फीस के बदले लाइसेंस मिले थे। 1999 में सरकार रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लेकर आई। इसके तहत टेलिकॉम ऑपरेटर्स को सरकार के साथ एजीआर का एक हिस्सा औऱ स्पेक्ट्रम यूसेज़ चार्ज चुकाने थे। झगड़ा इसी परिभाषा को लेकर खड़ा हुआ। टेलिकॉम कंपनियों ने इसे सिर्फ कोर सर्विस से जोडकर देखा , वही सरकार ने हर तरीके के रेवेन्यू से,

2005 में सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। अब इसी मामले में 14 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। जिसमें टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को 92 हजार करोड़ रूपये चुकाने का आदेश दिया है। यह एक बडा कारण है कि टेलिकॉम कंपनियों को चार्जेस बढाने पड़ रहे है।

 सरकार को टेलिकॉम कंपनिया 92 हजार करोड़ देगी। जिसमें सबसे ज्यादा वोडाफोन-आइडिया को 28,308 करोड़, एयरटेल को 21,682 करोड़ और जियो को 13 करोड़ रूपये सरकार के खाते में डालने है।

 देश में जियो के आने से देश में बडे बदलाव हुए, वित्तीय वर्ष 2008-2010 में देश में 13 टेलिकॉम ऑपरेटर थे जिनकी संख्या अब घटकर मात्र चार पर आ गई है। जियो के आने के पहले डेटा की खपचत के मामले में भारत दुनिया में 155 वें स्थान पर था जोकि अब पहले स्थान पर पहुंच गया है। भारत में जियो के पहले डेटा की खपत 20 करोड़ जीबी प्रति माह थी जो अब बढकर 370 करोड़ जीबी प्रति माह हो गई है, यदि औसतन देखें तो 250 रूपये प्रतिजीबी मिलने वाला डेटा अब मात्र 15 रूपये जीबी प्रति माह के हिसाब से मिल रहा है।

दाम बढने को लेकर टार्ई का कहना है कि ट्राई ने पिछले 16 साल से दरों में कोई बदलाव नहीं किये है। सर्विस चार्ज बढानें के पीछे टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनियों ने अपने निजी कारण बताये है जिनके चलते वे दाम बढा रही है।

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