डेस्क न्यूज़ – देश में बुधवार को डीजल की कीमत लगातार 18 वें दिन बढ़ी है। 7 जून के बाद से आज तक डीजल के दाम में 10.49 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में बुधवार को डीजल 48 पैसे महंगा होकर 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गया और पेट्रोल 79.76 रुपये प्रति लीटर है।
बुधवार को, तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में वृद्धि नहीं की, जिसके बाद, दिल्ली में पहली बार, डीजल की कीमत पेट्रोल की तुलना में अधिक बढ़ गई है।
इसके साथ, डीजल की कीमतों ने देश में इतिहास रच दिया है। पहली बार डीजल पेट्रोल के मुकाबले महंगा हो गया है। वहीं, दिल्ली से सटे नोएडा में डीजल दिल्ली के मुकाबले काफी सस्ता बिक रहा है। नोएडा में डीजल की कीमत 72.03 रुपये है। जबकि मुंबई में डीजल 78.22 रुपये में बेचा जा रहा है।
सरकारी तेल कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंगलवार को तेल की कीमतों में 2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसका मतलब है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 60-70 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि होनी थी, लेकिन तेल कंपनियों ने इसका सीधा प्रभाव ग्राहकों तक जाने से रोका है।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू उच्च कर दरों के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं।
देखा जाये तोह, सरकारें लगातार सोचती हैं कि पेट्रोल और डीजल के बीच मूल्य अंतर को कम किया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि दोनों पर लागत लगभग समान है और सरकार को डीजल सस्ता बेचने के लिए सब्सिडी देनी पड़ती है। डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार का मानना है कि इसका उपयोग कृषि, परिवहन, बिजली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाता है, इसलिए राहत दी जानी चाहिए।
यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान, इस सब्सिडी का बोझ बहुत अधिक हो गया था, तब से डीजल और पेट्रोल की कीमत में अंतर को कम करने की बात चल रही थी। इसके बाद मोदी सरकार ने डीजल पर पेट्रोल से ज्यादा टैक्स लगा–लगाकर दोनों की कीमतें बराबर कर दी है।
शहर | पेट्रोल | डीजल |
दिल्ली | 79.76 | 79.88 |
मुंबई | 86.54 | 78.22 |
चेन्नई | 83.04 | 77.17 |
कोलकाता | 81.45 | 75.06 |
नोएडा | 80.57 | 72.03 |
लखनऊ | 80.46 | 71.94 |
पटना | 82.79 | 76.90 |
वहीं, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी के बावजूद, देश में लगातार 18 वें दिन तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण केंद्र सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस पर चिंता व्यक्त की थी और सरकार से तेल की कीमतों पर लगाम लगाने की अपील की थी।
तेल की कीमतें विदेशी विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर तय होती हैं।
इन नमूनों के आधार पर, तेल कंपनियां रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करती हैं। डीलर फिर अपने मुनाफे को ईंधन की कीमतों में जोड़ते हैं।
यह सब एक साथ मिलाकर प्रति एक लीटर ईंधन के बदले ग्राहक से वसूला जाता है।
तेल कंपनियां रोजाना सुबह छह बजे तेल के दामों में बदलाव करती है।
देश में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस ने मंगलवार को कीमतों में बढ़ोतरी को 'अन्याय' करार दिया और सरकार से राहत की मांग की।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर सरकार ने कीमत कम नहीं की तो लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस पर चिंता व्यक्त की थी और सरकार से तेल की कीमतों पर लगाम लगाने की अपील की है।
कांग्रेस के अलावा वामपंथी दलों ने भी इस मामले में सरकार की आलोचना की है।
बता दें कि डीजल की कीमत में बढ़ोतरी के साथ इसका असर चारो तरफ देखने को मिलेगा। परिवहन की लागत में वृद्धि के साथ, महंगाई भी बढ़ेगी। कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते पहले ही देश में काम काज ठप है और देश की अर्थव्यवथा गिरती जा रही है, और अब तेल की कीमतों में इज़ाफ़े से आपको परिवहन के लिए अधिक भुगतान करना होगा और महंगा सामान खरीदना होगा। इसके अलावा ऑटो सेक्टर की बिक्री पर भी इसका गंभीर असर पड़ेगा।
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