न्यूज – दशहरा के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भीड़ की हिंसा यानी मॉब लिंचिंग को संघ से जोड़ कर देखा जाता है,
इसको कई बार सांप्रदायिक रंग दे दिया जाता है, भीड़ की हिंसा के नाम पर ये संघ के खिलाफ साजिश है,
वास्तव में ऐसी हिंसा को संघ रोकने की कोशिश करता है, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं का संघ से कोई लेना-देना नहीं है, लिंचिंग जैसे शब्द कभी भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं रहे, मॉब लिंचिंग के नाम पर भारत को बदनाम किया जा रहा है, मॉब लिंचिंग के नाम पर भारत के खिलाफ साजिश रची जा रही है, संघ के कार्यकर्ता हमेशा भीड़ की हिंसा को रोकने की कोशिश करते हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि आजकल समाज के एक गुट से समाज के दुसरे गुट के व्यक्ति पर सामूहिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं, ये घटनाएं एकतरफा नहीं होती, कुछ लोग जानबूझकर करते हैं, कुछ घटनाओं को बेवजह बड़ा स्वरूप दिया जाता है, कानून व्यवस्था खिलाफ होने वाली ये घटनाएं परस्पर संबंधों को नष्ट कर रहे हैं, ऐसी प्रवृत्ति अपने देश की परंपरा नहीं है, भले ही मतभेद हों लेकिन कानून व्यवस्था रहनी चाहिए. इसके लिए कड़े कानून होने चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा कि असंतोष भड़का कर, झगड़े भड़काए जाते हैं. कानून व्यवस्था को ताक पर रखने की प्रवृत्ति को आगे बढ़ाने का काम होता है. कानून नहीं रहा तो देश की क्या गति होगी?
उन्होंने कहा कि घटनाओं को रंग में रंगने की कोशिश की जाती है,उकसाने की कोशिश होती है, 100 घटनाएं अगर घटती हैं तो इस तरह की 4 होती हैं लेकिन ये होना नहीं चाहिए।