पीएम मोदी गुरुवार को नोएडा के जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास करेंगे। जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया का ऐसा एयरपोर्ट होगा, जहां कनेक्टिविटी बेहतरीन होगी। वहीं, नागरिक उड्डयन सचिव ने कहा, 'जेवर हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है जिसे चार चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण का निर्माण 36 महीने में होगा। प्रथम चरण के संचालन की अवधि 2023-27 है। नागरिक उड्डयन सचिव का कहना है की, "पहले चरण में प्रति वर्ष 12 मिलियन यात्रियों के यातायात की उम्मीद है और अंतिम चरण के पूरा होने तक यानी 2040-50 के बीच, जेवर हवाई अड्डे में प्रति वर्ष 70 मिलियन यात्रियों को संभालने की क्षमता होगी।"
बता दें की ग्रेटर नोएडा के जेवर हवाईअड्डे पर सबसे पहले डोमेस्टिक फ्लाइट का संचालन शुरू होगा। चरण 1 की परियोजना लागत 8,916 करोड़ रुपये है। यूपी सरकार भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास पर 4326 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इस प्रोजेक्ट पर पीएम मोदी खुद नजर रख रहे हैं।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए लोगों के पास कई विकल्प होंगे। यहां के लिए मेट्रो और पॉड टैक्सी भी चलेंगी। पहले चरण में मेट्रो ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-2 से जेवर एयरपोर्ट तक चलेगी। यह 35.64 किमी की लंबाई वाला सबसे लंबा मेट्रो ट्रैक होगा। वहीं दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन का कॉरिडोर गौतमबुद्ध नगर से होकर गुजरेगा। नोएडा का सेक्टर 148 पहला स्टेशन होगा, जिसके बाद जेवर एयरपोर्ट होगा। 62.5 किमी की यह दूरी बुलेट ट्रेन 21 मिनट में तय करेगी।
हवाई अड्डे का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा किया जा रहा है, जो परियोजना के स्विस रियायतकर्ता ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है। हवाई अड्डे को उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के सहयोग से पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है।