झूम के आया मानसून, कोझिकोड और तिरुवनंतपुरम में हुई सीजन की पहली बारिश

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच सोमवार को मॉनसून के रूप में एक बड़ी खुशखबरी आई
झूम के आया मानसून, कोझिकोड और तिरुवनंतपुरम में हुई सीजन की पहली बारिश

रिपोर्ट –  प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक मॉनसून ने केरल तट पर दस्तक दे दी है। वही अब भारतीय मौसम विभाग ने भी मानसून आने की पुष्टि कर दी है, आमतौर पर हर साल 1 जून को मॉनसून आता है और इस बारे इसके 5 जून को आने का अनुमान जताया गया था। लेकिन मानसून ने इस बार भी सही समय पर दस्तक दी है।

Credit – ANI
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देश में कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच सोमवार को मॉनसून के रूप में एक बड़ी खुशखबरी आई। प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट के साथ भारतीय मौसम विभाग ने भी देश में मॉनसून के दस्तक देने का ऐलान कर दिया है।

Credit – ANI<br />आनंद कुमार शर्मा, उप महानिरीक्षक (भारतीय मौसम विभाग)
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आनंद कुमार शर्मा, उप महानिरीक्षक (भारतीय मौसम विभाग)

भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक आनंद शर्मा ने कहा , आज केरल में मानसून का आगमन हुआ। कम दवाब के क्षेत्र की वजह से बने अवसाद के कारण 3-4 तारीख के बीच दादरा नगर हवेली, नॉर्थ कोंकण, नॉर्थ मध्य महाराष्ट्र, दमन दीव में भारी बारिश होगी। यहां लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि 2 जून तक यह उत्तर दिशा की तरफ चलेगा और फिर यह उत्तर पूर्व दिशा की ओर बढ़ते हुए 3 जून की शाम को हरिहरेश्वर (महाराष्ट्र) और दमन तट को पार करेगा। दक्षिण पश्चिम अरब सागर में दवाब का क्षेत्र अब अवसाद बन गया है आने वाले 12 घंटों में ये गहरा अवसाद और 24 घंटों में एक चक्रवात का रूप ले लेगा।

अच्छा मॉनसून भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। अर्थव्यवस्था पहले ही सुस्ती से जूझ रही है। ऊपर से कोरोना वायरस के कहर ने भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमर ही तोड़ दी है। अब मॉनसून की झमाझम बारिश देश में मंदी की मार को दूर करेगी।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पहले ही इस साल के लिए मॉनसून सीजन में 100 प्रतिशत बारिश का अनुमान जताया है। इसमें 5 प्रतिशत कमी या इजाफा मुमकिन है। पिछले साल 8 जून को मॉनसून ने केरल तट पर दस्तक दी थी लेकिन इस बार 30 मई को ही उसका आगमन हो चुका है।

भारत कृषि प्रधान देश है लिहाजा मानसून सामान्य रहने से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होता है। भारत में ज्यादातर किसान खरीफ की फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर होते हैं। अच्छे मॉनसून से फसलों की पैदावार बढ़ती है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ती है।

भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून हर साल जून से लेकर सितंबर तक 4 महीनों तक रहता है। आम तौर पर यह सबसे पहले केरल में दस्तक देता है। इसके बाद अलग-अलग वक्त पर यह देश की अलग-अलग जगहों पर जाता है। इसी तरह, देश की अलग-अलग जगहों से अलग-अलग वक्त पर इसकी वापसी भी होती है।

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