UN ने भारत को दी चेतावनी,कहा इन राज्यों में मौजूद है बड़ी तादात में IS आतंकी
न्यूज़- युनाइटेड नेसंश की रिपोर्ट में भारत में आतंकियों की मौजूदगी को लेकर सनसनीखेज दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के केरल और कर्नाटक राज्य में अच्छी-खासी संख्या में इस्लामिक स्टेट के आतंकी मौजूद हैं। यूएन की रिपोर्ट में भारत को इन आतंकियों को लेकर चेताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठन अल कायदा के तकरीबन 150-200 आतंकी भारतीय उपमहाद्वीप में संक्रिय हैं। ये आतंकी भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि देशों में हैं और इस क्षेत्र में आतंकी हमले की साजिश रच रहे हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (AQIS) तालिबानियों के साथ मिलकर ऑपरेट करते हैं
भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (AQIS) तालिबानियों के साथ मिलकर ऑपरेट करते हैं। ये आतंकी मुख्य रूप से अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंद और कांधार से ऑपरेट करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि तकरीबन 150-200 आतंकियों का गुट बांग्लादेश, म्यांमार, भारत और पाकिस्तान में सक्रिय है। इनका मौजूदा नेता अल कायदा का ओसामा महमूद है, जिसने आसिम उमर के बाद AQIS की कमान संभाली है। जानकारी के अनुसार ये सभी मिलकर अपने नेता की मौत का बदला लेने की योजना बना रहे हैं।
रिपोर्ट की मानें तो इस आतंकी संगठन की एक यूनिट भारत में है जिसका नाम आईएसआईएल (हिंद विलायाह) है
रिपोर्ट की मानें तो इस आतंकी संगठन की एक यूनिट भारत में है जिसका नाम आईएसआईएल (हिंद विलायाह) है और इस गुट ने अपने अस्तित्व की घोषणा 10 मई 2019 को की थी। इस गुट में तकरीबन 180-200 सदस्य हैं। केरल और कर्नाटक में इन आतंकियों की संख्या सबसे अधिक है। पिछले वर्ष मई माह में आईएसआईएस, आईएसआईएल जैसे आतंकी संगठनों ने दावा किया था कि उन्होंने भारत में एक नए प्रांत का गठन किया है। जम्मू कश्मीर में आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ के बाद इसका ऐलान किया गया था।
इसके अलावा खुंखार आतंकी संगठन ने अपनी न्यूज एजेंसी अमाक के जरिए इस बात की जानकारी दी थी
इसके अलावा खुंखार आतंकी संगठन ने अपनी न्यूज एजेंसी अमाक के जरिए इस बात की जानकारी दी थी और अपने संगठन का अरबी नाम हिंद का प्रांत विलायाह बताया था। हालांकि जम्मू कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस दावे को खारिज किया है। इससे पहले आईएस के कश्मीर में हमले को इसके दूसरे संगठन खुरासान को जिम्मेदार माना जाता था, जिसका गठन 2015 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान के पास किसी इलाके में किया गया था।