अब देश में पराली जलाना अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। यह घोषणा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को की। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की यह एक बड़ी मांग थी कि पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए, इसलिए किसानों की इस मांग को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 दिसंबर 2015 को पराली जलाने पर रोक लगा दी थी. पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई भी की गई थी. पराली जलाने पर दो एकड़ तक 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ जमीन पर पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक की जमीन पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था।
इस दौरान कृषि मंत्री ने किसान संगठनों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, अब किसान आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है. किसानों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। प्रधानमंत्री की घोषणा का सम्मान करें और घर वापसी सुनिश्चित करें।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को ही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयक को सूचीबद्ध किया जाएगा. पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून विधेयकों को वापस लेने की घोषणा के बाद मोदी कैबिनेट ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार की ओर से कमेटी गठित की गई है. उन्होंने कहा कि इस समिति के गठन से किसानों की एमएसपी संबंधी मांग भी पूरी हो गई है. उन्होंने कहा कि एमएसपी, जीरो बजट खेती और फसल विविधीकरण में पारदर्शिता लाने के लिए कमेटी का ऐलान किया गया है, इस कमेटी में किसान प्रतिनिधि होंगे.
कृषि मंत्री ने कहा कि आंदोलन के दौरान राज्य सरकारों को किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने और उन्हें मुआवजा देने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने-अपने राज्य की नीति के अनुसार इस संबंध में निर्णय ले सकती हैं.