इस बार भारत-पाकिस्तान में टिड्डियों का नहीं होगा हमला, दोनों देशों ने मिलकर उठाया ये कदम

इस साल भारत में टिड्डियों का हमला नहीं होगा। ईरान-पाकिस्तान के रास्ते आकर हमारी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डियां इस साल बड़े पैमाने पर नहीं पनपी हैं
इस बार भारत-पाकिस्तान में टिड्डियों का नहीं होगा हमला, दोनों देशों ने मिलकर उठाया ये कदम
Updated on

इस साल भारत में टिड्डियों का हमला नहीं होगा। ईरान-पाकिस्तान के रास्ते आकर हमारी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डियां इस साल बड़े पैमाने पर नहीं पनपी हैं। यह सब भारत और पाकिस्तान के संयुक्त प्रयासों से संभव हुआ है। टिड्डियों के हमलों पर नजर रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (यूएन) के वरिष्ठ टिड्डी पूर्वानुमान अधिकारी (वरिष्ठ लोकस्ट फोरकास्टिंग ऑफिसर) कीथ क्रेसमान ने भी इसकी प्रशंसा की है।

 उन्होंने कहा है कि पिछले साल भारत और पाकिस्तान ने 50 करोड़ से अधिक टिड्डियों के हमले का सामना किया था, लेकिन इस बार दोनों देशों ने मिलकर टिड्डियों के आतंक को नाकाम किया है।

कीथ क्रेसमान ने कहा, 'यह कम ही लोगों को पता है कि भारत और पाकिस्तान के सरकारी टिड्डी निगरानी संगठनों ने मिलकर इतना अच्छा काम किया है कि आज किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे अच्छी फसल की उम्मीद कर सकते हैं। क्योंकि टिड्डियों से फसलों को खतरा नहीं है।

टिड्डियों पर नजर रखने के लिए भारत और पाकिस्तान में टिड्डी चेतावनी संगठन

टिड्डियों पर नजर रखने के लिए भारत और पाकिस्तान में टिड्डी चेतावनी संगठन है। भारत में यह कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आता है। आजादी से पहले ये दोनों एक ही थे। बंटवारे के बाद भी दोनों ऐसे काम करते रहे हैं मानो एक हो। इन दोनों के अलावा ईरान और अफगानिस्तान के साथ भी UN की टीम टिड्डियों की मॉनिटरिंग करती है।

मॉनिटरिंग का मतलब है डेटा इकट्ठा करना, उसे आपस में साझा करना ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि टिड्डियां कहां और कितनी बढ़ रही हैं। कौन से क्षेत्र खतरे में हैं? यह हमले को रोकने के लिए तैयारी का समय देता है। क्रेसमान ने कहा है कि पिछले साल से दोनों देशों ने इतनी मुस्तैदी दिखाई कि टिड्डियों को पनपने का मौका ही नहीं मिला।

भारत में कहीं से भी टिड्डियों के आने की संभावना दूर से भी नजर नहीं आ रही

इस साल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में टिड्डियां मौजूद नहीं हैं। थोड़ी बहुत है जिसे प्रकृति संतुलित करेगी। उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और सऊदी अरब में भी अब स्थिति सामान्य है। भारत में कहीं से भी टिड्डियों के आने की संभावना दूर से भी नजर नहीं आ रही है। मेरा मानना ​​है कि अगर भारत पाकिस्तान की तरह अफ्रीका गंभीर हो जाए तो दुनिया को टिड्डियों के हमले की समस्या से निजात मिल सकती है।

टिड्डियां रेतीली जमीन में अंडे देना पसंद करती हैं

कीथ क्रेसमान बताते हैं कि टिड्डियां रेतीली जमीन में अंडे देना पसंद करती हैं। भारत में टिड्डियों के साथ समस्या यह है कि राजस्थान तेजी से हरियाली की ओर बढ़ रहा है। टिड्डियों की जमीन सिकुड़ रही है। अब उन्हें जैसलमेर के पश्चिमी क्षेत्र और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों को फलने-फूलने के लिए चुनना होगा। यहां दोनों देशों के संगठन पूरी लगन से काम कर रहे हैं और साथ मिलकर न सिर्फ डेटा शेयर कर रहे हैं बल्कि कार्रवाई भी कर रहे हैं।

रेगिस्तानी टिड्डियों की निगरानी करना मुश्किल काम

दमकल विभाग की तरह रेगिस्तानी टिड्डियों की निगरानी करना एक मुश्किल काम है क्योंकि टिड्डियां पेशेवर रूप से जीवित बची हैं और वे मनुष्य की उत्पत्ति के समय से ही पृथ्वी पर हैं। जब वे झुंड में आते हैं, तो उनकी संख्या करोड़ों में होती है, और एक दिन में वे इतना अनाज खा जाते हैं, जो 35 लाख लोगों के लिए पर्याप्त है। उन्हें जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। इन्हें केवल झुंड में बदलने से ही रोका जा सकता है, जिसके लिए कई देशों की सरकारों को एक साथ काम करने की आवश्यकता होती है।

Like and Follow us on :

logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com