चीन ताजिकिस्‍तान में ‘सैन्‍य अड्डे’ का निर्माण करेगा, भारत पर भी रहेगी नजर, भारत के लिए भी चिंता का विषय

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब चीनी ड्रैगन की नजर तालिबान शासित युद्धग्रस्त देश पर है। चीन ताजिकिस्तान में एक सैन्य अड्डे पर पूर्ण नियंत्रण करने जा रहा है। चीन लंबे समय से चुपचाप इस बेस का इस्तेमाल कई सालों से कर रहा था। इतना ही नहीं चीन ताजिक बलों के लिए एक नया सैन्य अड्डा बनाएगा। ताजिकिस्तान की संसद ने चीनी धन से नए सैन्य अड्डे के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
चीन ताजिकिस्‍तान में ‘सैन्‍य अड्डे’ का निर्माण करेगा, भारत पर भी रहेगी नजर, भारत के लिए भी चिंता का विषय
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अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब चीनी ड्रैगन की नजर तालिबान शासित युद्धग्रस्त देश पर है। चीन ताजिकिस्तान में एक सैन्य अड्डे पर पूर्ण नियंत्रण करने जा रहा है। चीन लंबे समय से चुपचाप इस बेस का इस्तेमाल कई सालों से कर रहा था। इतना ही नहीं चीन ताजिक बलों के लिए एक नया सैन्य अड्डा बनाएगा। ताजिकिस्तान की संसद ने चीनी धन से नए सैन्य अड्डे के निर्माण को मंजूरी दे दी है।

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब चीनी ड्रैगन की नजर तालिबान शासित युद्धग्रस्त देश पर है

बताया जा रहा है कि चीन इस सैन्य अड्डे का निर्माण ताजिकिस्तान के विशेष बलों के लिए करेगा। यह सैन्य अड्डा ताजिकिस्तान के उत्तरी गोर्नो-बदख्शान प्रांत में बनाया जाएगा, जो पामीर पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह इलाका चीन के शिंजियांग और अफगानिस्तान के बदख्शान इलाके से लगा हुआ है। ताजिक संसद के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सैन्य अड्डे में कोई चीनी सैनिक नहीं रहेगा।

तालिबान ने ताजिकिस्तान को दी चेतावनी

चीन अपने सैन्य अड्डे और ताजिकिस्तान के लिए एक नए सैन्य अड्डे का निर्माण ऐसे समय में कर रहा है जब अफगानिस्तान के नए शासकों, तालिबान, दुशांबे के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति इमोमाली का कहना है कि नई सरकार को ताजिक लोगों को व्यापक प्रतिनिधित्व देना चाहिए, जो आबादी में दूसरे स्थान पर हैं।

वहीं तालिबान ने ताजिकिस्तान को उसके घरेलू मामलों में दखल न देने की चेतावनी दी है। इतना ही नहीं, तालिबान ने ताजिकिस्तान में आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन किया है जो राष्ट्रपति इमोमाली की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। इतना ही नहीं हाल ही में रूस ने ताजिक सीमा के पास एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया था। रूस ने तालिबान को बता दिया था कि वह ताजिकिस्तान के साथ मजबूती से खड़ा है और उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

विदेश में यह चीन का दूसरा सैन्‍य अड्डा होगा

चीन ताजिकिस्तान में भारी निवेश कर रहा है। चीन ने ताजिकिस्तान की नई संसद मुफ्त में बनाई है। ताजिक बलों के लिए बनाए जाने वाले बेस पर चीन एक करोड़ डॉलर खर्च करेगा। ताजिकिस्तान में तेजी से पकड़ बना रहे चीन की नजर भारत पर भी है, जिसका यहां अपना एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा है। चीन और ताजिकिस्तान दोनों का दावा है कि ताजिक धरती पर पीएलए मौजूद नहीं है। ताजिकिस्तान में अपने सैन्य अड्डे पर चीन के पूर्ण नियंत्रण के बाद यह विदेश में चीन का दूसरा सैन्य अड्डा होगा। इससे पहले चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में अपना सैन्य अड्डा बनाया था।

चीन अपने ताजिक सैन्य अड्डे से खुफिया निगरानी करता है, जो भारत के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है

चीन अपने ताजिक सैन्य अड्डे से खुफिया निगरानी करता है, जो भारत के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है। भारत का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा ताजिकिस्तान में है और कई सैनिक तैनात हैं। भारत का गिसार मिलिट्री एयरोड्रोम या अयनी एयरबेस देश की राजधानी दुशांबे के पास एक गांव में स्थित है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने इसके विकास में 70 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। इसमें 3200 मीटर का आधुनिक रनवे, हवाई यातायात नियंत्रण, नेविगेशन उपकरण और एक मजबूत वायु रक्षा प्रणाली है।

चीन के सैन्‍य जासूसी करने से भारत की चिंता बढ़ सकती है

हालांकि, दोनों देशों की सरकारों ने इस बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा चर्चा नहीं की है। इसके साथ ही भारत के शामिल होने को लेकर भी चुप्पी साधे रखी गई है। यह बात तब सामने आई है जब अफगानिस्तान संकट के दौरान भारतीय वायुसेना ने इसका इस्तेमाल किया था। अब चीन की सैन्य जासूसी भारत की चिंता बढ़ा सकती है। माना जाता है कि भारत ने इस बेस को चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए बनाया था।

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