Hindenburg Report: बड़ी खिलाड़ी है 'हिंडनबर्ग', जानें एक दांव में कैसे कमा लेती है अरबों?

Hindenburg Report: हिंडनबर्ग एक अमेरिकन कंपनी है जो फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान का काम करती है। Since Independence की खबर में जानें किसी के शेयर गिराकर कैसे अरबों कमा लेती है यह कंपनी?
Hindenburg Report: बड़ी खिलाड़ी है 'हिंडनबर्ग', जानें एक दांव में कैसे कमा लेती है अरबों?
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Hindenburg Report: बीती 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसके बाद संसद से लेकर सड़क तक इसकी चर्चा हो रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अडानी के शेयरों में काफी गिरावट आई है और इस ग्रुप की मार्केट वैल्यू भी बेहद गिर गई हैं। साथ ही निवेशकों को भी जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ा है।

पूरे मामले में एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वह है हिंडनबर्ग। सवाल उठता है कि आखिर हिंडनबर्ग अन्य कंपनियों के शेयर गिराकर कैसे अरबों कमाती है? Since Independence पर जानें अडानी के शेयर्स गिरने का हिंडनबर्ग को क्या फायदा हुआ?

जानें क्या काम करती है हिंडनबर्ग?

हिंडनबर्ग एक अमेरिकन इन्वेस्टमेंट कंपनी है जो फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान का काम करती है। हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट की मानें तो यह कंपनी किसी भी अन्य कंपनी के निवेश (Investment), इक्विटी ( Equity), क्रेडिट (Credit) और डेरिवेटिव (Derivatives) पर शोध करती है और शेयर मार्केट की बारीकियों का विश्लेषण करके और कई सूत्रों की मदद से किसी कंपनी में हो रही धोखाधड़ी को सबसे सामने लेकर आती है।

कंपनी यूं करती है 'खेल'

रिपोर्ट की मानें तो हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलर है। आसान भाषा में समझे तो शेयर मार्केट में दो तरह के निवेशक होते है। ऐसे समझिये की शेयर बाज़ार में आप उस कंपनी के शेयर खरीदते हैं जिसके शेयरों के दाम भविष्य में बढ़ने वाले होते हैं। जब शेयर के दाम बढ़ जाते हैं तो आप उन्हें बेच देते हैं।

लेकिन, शॉर्ट सेलिंग इसके उलट है। इसमें किसी भी कंपनी के शेयर की खरीद और बिक्री तब की जाती है जब उनके दाम भविष्य में गिरने की संभावना होती है। ऐसे में शॉर्ट सेलर अपने पास शेयर न होते हुए भी इन्हें बेचता है। लेकिन, वो शेयर खरीदकर नहीं बेचता बल्कि उधार लेकर बेचता है।

उदाहरण के तौर पर समझे तो जब शॉर्ट सेलर को उम्मीद होती है कि 100 रुपए का शेयर 60 रुपए पर पहुंच सकता है तो वो ब्रोकर से शेयर उधार लेकर इसे दूसरे निवेशक को बेचता है, जो इसे 100 रुपए के दाम पर खरीदने को तैयार होता हैं। और जब ये शेयर 60 रुपए तक गिर जाता है तब शॉर्ट सेलर इसे 60 रुपए के दाम पर खरीदकर ब्रोकर को वापस लौटा देते है। इस तरह हर शेयर पर उन्हें 40 रुपए का लाभ होता है।

इसे एक जुए की तरह माना जाता है। जिसमें अगर आपका अंदाजा सही हुआ तब तो फायदा ही फायदा है लेकिन अगर नहीं तब कुछ खास असर नहीं पड़ेगा। यही काम करने का आरोप हिंडनबर्ग पर लगता है। कहा जाता है की हिंडनबर्ग भी कंपनी के शेयर गिराकर ऐसे प्रॉफिट कमाती है।

जानें हिंडनबर्ग के पीछे कौन?

हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने वाले एंडरसन ने एक डेटा कंपनी फैक्टसेट रिसर्च सिस्टम्स से करियर की शुरुआत की थी। यहां उनका काम इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों से जुड़ा हुआ था।

फिर उन्होंने साल 2017 में अपनी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च को शुरू किया। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंडनबर्ग ने साल 2020 के बाद से 30 कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट पेश किया है और रिपोर्ट रिलीज़ होने के अगले ही दिन उस कंपनी के शेयर औसतन 15 फ़ीसदी तक गिए गए।

इसी रिपोर्ट में बताया गया कि आने वाले छह महीने में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की गई कंपनियों के शेयरों में औसतन 26 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई। हिंडनबर्ग की अपनी वेबसाइट में उन रिपोर्ट्स की लिस्ट भी देती है, जो वो सितंबर 2020 से लेकर अब तक पब्लिश कर चुकी है।

हिंडनबर्ग नाम रखने के पीछे मकसद?

6 मई 1937 को अमेरिका के मैनचेस्टर के पास हिंडनबर्ग नाम का एक जर्मन एयर स्पेसशिप उड़ान भरने के समय हवा में ही क्रैश हो गया था। ये हादसा इतना भयानक था कि इसमें 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसी घटना की याद में इस कंपनी का नाम भी हिंडनबर्ग रखा गया।

इस नाम के पीछे का मकसद था कि हिंडनबर्ग की तरह ही शेयर मार्केट में लाभ कमाने के लिए होने वाली गड़बड़ियों पर नजर रखकर पोल खोलना। जिससे शेयर मार्केट में घोटालों के कारण होने वाले क्रैश को रोका जा सके।

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