भारतीय सेना चीन सीमा के पास LAC पर ज्यादा ऊंचाई वाले मिशनों के लिए शक्तिशाली अल्ट्रा-लाइट ड्रोन ‘स्विच’ का इस्तेमाल अब करेगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर भारतीय कंपनी आइडियाफोर्ज के साथ करार किया है. आपको बता दे इससे पहले पिछले साल भी इसी कंपनी को ‘स्विच’ ड्रोन का ऑर्डर दिया गया था, जिसे इस कंपनी ने बहुत ही कम समय में डिलीवरी कर दी थी.
पिछले साल जनवरी में भारतीय सेना ने ‘स्विच’ ड्रोन के अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले संस्करण की खरीद के लिए ‘आइडियाफोर्ज’ कंपनी के साथ लगभग दो करोड़ डॉलर के करार पर मुहर लगाई थी. यूरेशियन टाइम्स के अनुसार, काफी विचार विमर्श के बाद भारतीय फर्म को ‘स्विच’ ड्रोन के लिए चुना गया. उस समय इसे फास्ट-ट्रैक खरीद के लिए चुना गया था.
एक बार फिर एक साल बाद मुंबई आधारित कंपनी इसी कंपनी को स्विच ड्रोन का ऑर्डर मिला है. क्योकी पिछले दिनों भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए स्विच1.0 ड्रोन के अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले संस्करण की खरीद के लिए फिर से आइडियाफोर्ज के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. फिलहाल नए आर्डर में कितने ड्रोन के लिए दिए गए हैं और इसकी क्या कीमत है, यह अभी क्लियर नहीं है.
कृति अरमानमदा, मार्केटिंग महाप्रबंधक, आइडियाफोर्ज,
‘भारतीय सेना को एक ऐसे ड्रोन की आवशयकता थी, जिसे कंधे पर उठाया जा सके और दुश्मनों की चुनौतियों से पार पाया जा सके. बेशक कंपनी को उन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था लेकिन कंपनी ने उसे पूरा किया.
दूसरा पहलू ये था
कि सेना उच्च-ऊंचाई वाले ड्रोन की दरकार थी. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, हवा पतली होती जाती है और अधिकांश उड़ानों का वहां जाना मुश्किल हो जाता है. इस ड्रोन को अधिक ऊंचाई पर और विपरीत मौसम स्थितियों में तैनात किया जा सकता है. ये हमारे सामने पेश की गई चुनौतियां थीं.’
अगर इन ड्रोन की खासियत के बारे में बात करें तो स्विच ड्रोन दिन-रात निगरानी के लिए अधिक ऊंचाई पर और विपरीत मौसम की स्थितियों में उन्हे तैनात किया जा सकता है. अगर इनके वजन की बात करें तो इनका वजन करीब 6.5 किलो का होता है. ड्रोन हेलीकॉप्टर की तरह वर्टिकल टेक-ऑफ करने में भी सक्षम है. इसे कम तापमान, तेज हवाओं और हवा के कम घनत्व के साथ ज्यादा ऊंचाई पर दो घंटे तक उड़ाया जा सकता है. इस ड्रोन को कहीं भी तैनात किया जा सकता है साथ ही यह ड्रोन 15 किलोमीटर तक निगरानी करने की ताकत रखते है.इसे 4 हजार मीटर की ऊंचाई तक से लॉन्च किया जा सकता है.
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