श्रीलंकाई नेताओं का मोदी को खत, भड़के राजपक्षे सरकार के ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला, कहा श्रीलंका भारत का भाग नहीं

तमिल सांसदों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखने पर श्रीलंका सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. श्रीलंकन सरकार में गोटाभाया राजपक्षे सरकार में ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला ने कहां कि संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की मांग तमिल नेशनल एलायंस को देश की चुनी हुई सरकार के समश्र करनी चाहिए. ना कि भारतीय प्रधानमंत्री के सामने. श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और यह भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है.
श्रीलंकाई नेताओं का मोदी को खत, भड़के राजपक्षे सरकार के ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला, कहा श्रीलंका भारत का भाग नहीं
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क्या श्रीलंका ने बिजली संकट से छुटकारा पाने का समाधान का पता लगा लिया है. क्योकी श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री ने श्रीलंका की संसद में कहा है कि “इस संकट का समाधान क्या है? मैं देश के सामने इसका खुलासा करता हूं.”

श्रीलंका में इस वक्त आर्थिक संकट है, लेकिन भारत श्रीलंका को डिफाल्टर होने से बचाने में मदद कर रहा है. वही दूसरी और दोनों देशों के रिश्तो की एक कमज़ोर कड़ी तमिलों का मुद्दा है. यह मुद्दा इतना संवेदनशील है कि दोनो देशों के रिश्तो को पटरी से उतारने की क्षमता भी रखता है.

भारत ने अब तक अपने मित्र देश श्रीलंका को लगभग 1 अरब 40 करोड़ डॉलर की मदद दी है. इसमें 13 जनवरी को श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग में श्रीलंका को 90 करोड़ फिर बाद में इसी हफ्ते मंगलवार यानि 18 जनवरी को 50 करोड़ डॉलर और देने का ऐलान किया. जिससे श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद ख़रीद सके.

वही श्रीलंका के उत्तरी और प्रमुख तमिल सासंदों ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है. जिसमें तमिल सांसदों ने तमिलों से जुड़े मुद्दों को भारतीय प्रधानमंत्री से सुलझाने में मदद करने की गुज़ारिश की है.

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क्या अब श्रीलंका को नहीं रखना पड़ेगा सोना गिरवी?

टीएनए (तमिल नेशनल एलायंस) के नेता आर संपनथन के नेतृत्व में सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग में मंगलवार को पहुँचा और इसी दौरान प्रतिनिधिमंडल ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक पत्र सौंपा.

सौपे गए सात पन्नों के पत्र में कोलंबो की अलग-अलग सरकारों के उन वादों का जिक्र किया गया है जिन्हें श्रीलंका द्वारा अब तक पूरा नहीं किया गया. इस पत्र में श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन को लागू करवाने में भी मदद करने का पीएम मोदी से अनुरोध किया गया है साथ ही इस पत्र पर तमिल पार्टियों के कई नेताओं और सांसदों के हस्ताक्षर हैं.

इस मंडल ने पीएम मोदी के नाम पत्र लेते हुए कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने 18 जनवरी को तस्वीरें पोस्ट की. इन तस्वीरों के साथ भारतीय उच्चायोग ने लिखा, ''आर संपनथन के नेतृत्व में तमिल नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम भारतीय उच्चायोग को एक पत्र सौंपा है.''

‘श्रीलंका भारत का हिस्सा नहीं’ – श्रीलंका मंत्री

तमिल सांसदों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखने पर श्रीलंका सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. श्रीलंकन सरकार में गोटाभाया राजपक्षे सरकार में ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला ने कहां कि संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की मांग तमिल नेशनल एलायंस को देश की चुनी हुई सरकार के समश्र करनी चाहिए. ना कि भारतीय प्रधानमंत्री के सामने. श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और यह भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है.

वही उदया ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, ''अगर हमारी तमिल पार्टियां संविधान के 13वें संशोधन को लागू नहीं करने को लेकर चिंतित हैं तो उन्हें श्रीलंका के राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए ना भारतीय प्रधानमंत्री के पास. हम एक संप्रभु देश हैं. श्रीलंका कोई भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है. तमिल भाइयों को मुल्क की सरकार के सामने अपनी मांग रखनी चाहिए.''

मंत्री उदया ने तमिलों के पत्र पर जताई गई अपनी आपत्ति से जुड़ी कोलंबो गजट की ख़बर को रीट्वीट किया क्योंकी कोलंबो गज़ट ने उदया के बयान को हेडिंग बनाया है. इस ख़बर की हेडिंग है- उदया ने तमिल सांसदों को याद दिलाया, श्रीलंका भारत का हिस्सा नहीं.

वही अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने तमिल प्रतिनिधिमंडल के पत्र में क्या लिखा है, इस पर मंगलवार को एक ख़बर प्रकाशित की थी. हिन्दू के अनुसार पत्र में 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के श्रीलंकाई संसद के संबोधन का भी ज़िक़्र है. संबोधन में पीएम मोदी ने श्रीलंका में कोऑपरेटिव फ़ेडरलिजम (सहकारी संघवाद) की बात की थी.

तमिल सांसदों ने दिए पत्र में लिखा,''उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में तमिल हमेशा बहुमत में रहे हैं. तमिलों के लिए हम एक संघीय ढांचे के आधार पर एक राजनीतिक समाधान को लेकर प्रतिबद्ध हैं. हमने संवैधानिक सुधार के प्रस्ताव को लगातार रखा है.'' सांसदों का कहना है भारत सरकार श्रीलंका सरकार पर 13वें संशोधन को लागू कराने के लिए दबाव डाले.

क्या है श्रींलका के संविधान में 13 वा संशोधन ? –

दोनो देशों के बीच तमिलों का मुद्दा काफी अहम है. जब पिछले साल अक्टूबर में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला श्रीलंका दौरे पर थे तब भी उन्होने तमिलों का मुद्दा उठाया गया था. भारत चाहता है कि श्रीलंका अपने संविधान के 13वें संशोधन का पालन करे. यह संशोधन 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच समझौते के बाद लिया गया था.

उस समझौते के तहत श्रीलंका के नौ प्रांतों में काउंसिल को सत्ता में साझीदार बनाने की बात कही थी. इसका मक़सद था कि श्रीलंका में तमिलों और सिंहलियों का जो संघर्ष है, उसे रोका जा सके. उस 13वें संशोधन के ज़रिए प्रांतीय परिषद बनाने की बात थी ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण (Decentralisation) हो सके.

इसमें शिक्षा, हाउसिंग, स्वास्थ्य, कृषि और भूमि से जुड़े फ़ैसले लेने का अधिकार प्रांतीय परिषद को देने की बात थी. परंतु ये कोई भी चीज लागू नहीं हो सकीं. भारत का मानना है अगर श्रीलंका इसे लागू करता है तो जाफ़ना में तमिलों को अपने लिए नीतिगत स्तर पर फ़ैसला लेने का अधिकार मिल सकेगा.

भारत को श्रीलंका सरकार पर संदेह है की सरकार 13 वे संशोधन को लागू नहीं करेगी. 2011 में अमेरिकी दूतावास के केबल्स, विकीलीक्स के ज़रिए द हिन्दू को मिले थे. केबल्स से इस बात का पता चलता है कि भारत इस संशोधन को लेकर सक्रिय रहा, लेकिन श्रीलंका इस पर तैयार नहीं हुआ.

क्योकी भारत के लिए 13वे संशोधन का तमिल प्रश्न चीन के बढ़ती संप्रभुता के बीच कहीं गुम सा होने लगता है. भारत की चाहत है कि श्रीलंका संविधान के 13वें संशोधन के सारे प्रावधान को सहीं और पूरी तरह लागू करे. इसमें संत्ता क हस्तांतरण और जल्द ही प्रांतीय परिषदों के चुनाव करने की बात शामिल है.

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चीन के चंगुल में छटपटा रहा श्रीलंका, मोदी से मदद की आस

भारत को श्रीलंका सरकार पर संदेह है की सरकार 13 वे संशोधन को लागू नहीं करेगी. 2011 में अमेरिकी दूतावास के केबल्स, विकीलीक्स के ज़रिए द हिन्दू को मिले थे. केबल्स से इस बात का पता चलता है कि भारत इस संशोधन को लेकर सक्रिय रहा, लेकिन श्रीलंका इस पर तैयार नहीं हुआ.

क्योकी भारत के लिए 13वे संशोधन का तमिल प्रश्न चीन के बढ़ती संप्रभुता के बीच कहीं गुम सा होने लगता है. भारत की चाहत है कि श्रीलंका संविधान के 13वें संशोधन के सारे प्रावधान को सहीं और पूरी तरह लागू करे. इसमें संत्ता क हस्तांतरण और जल्द ही प्रांतीय परिषदों के चुनाव करने की बात शामिल है.

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