रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस सपोर्टिव अलगाववादी क्षेत्रों (डोनेत्स्क और लुहांस्क) को देर रात आजाद देश की मान्यता दे दी। पुतिन के इस निर्णय के बाद इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपट्र्स की मानें तो इससे यूक्रेन पर रूस के हमले की पश्चिम देशों की संभावना के बीच तनाव और बढ़ सकता है। पुतिन ने राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद यह घोषणा की, जिससे रूस के लिए मास्को समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेनी बलों के बीच संघर्ष के लिए खुले तौर पर बल और हथियार भेजने का रास्ता साफ हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक शुरू हो चुकी है। पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को हमला करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
रूस के निचले सदन ने भी पिछले हफ्ते इसी तरह की अपील की थी। पुतिन ने रूसी सांसदों से यूक्रेन के विद्रोही क्षेत्रों के साथ संधियों पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया, ताकि उन्हें मास्को का सैन्य समर्थन मिल सके।
उन्होंने एक अलग ट्वीट में कहा, "रूस का फैसला राष्ट्रपति पुतिन के अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों के अनादर का एक और उदाहरण है।" एक अलग ट्वीट में, उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भागीदारों के साथ समन्वय में उचित कदम उठाएगा।
व्हाइट हाउस ने कहा कि पुतिन द्वारा क्षेत्रों को आजाद मानने के बाद बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की से 35 मिनट तक फोन पर बात की। बाइडेन के फोन कॉल का मकसद यूक्रेन की संप्रभुता के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करना बताया। उन्होंने रूस पर प्रतिबंधों की योजना के बारे में भी विस्तार से बात की।
भारत ने जाहिर किया अपना रुख
रूस-यूक्रेन तनाव पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख बताते हुए टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच सीमा पर तनाव गहरी चिंता का विषय बनाया है। इस क्षेत्र में रूस का कदम शांति और सुरक्षा को कमजोर करेगा। हम दोनों पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करते हैं। हम अपील करते हैं। हमारा मानना है कि इस मुद्दे को केवल और केवल राजनयिक बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है। तनाव को कम करने के लिए जो भी कदम उठाए गए हैं, हमें उन्हें कुछ समय देना होगा।
उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति बनाए रखनी चाहिए। इस तनाव को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए, जो सभी पक्षों को स्वीकार्य हो। वहीं तिरुमूर्ति ने कहा कि राजनयिक प्रयासों को तुरंत तेज किया जाना चाहिए।