पाकिस्तान में प्रमुख विपक्षी दलों ने वजीरे आजम के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है. इस अविश्वास प्रस्ताव लाने में विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम की काफी अहम भूमिका रही है.
आपको बता दे की लाहौर में पिछले कुछ सप्ताह पहले मूवमेंट की बैठक में चीफ़ मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान सरकार की ओर इशारा कर कहा था,''पीडीएम में शामिल सभी दलों ने इस अवैध सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना लिया है. ''
उन्होंने कहा, ''इसके लिए हम सरकार के सभी सहयोगी दलों से संपर्क करेंगे और कहेंगे कि पाकिस्तान के लोगों पर दया करें और सरकार को समर्थन देना बंद कर दें.''
पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए साधारण बहुमत की ही ज़रूरत होती है.
अगर पाकिस्तान की नेशनल अंसेबली के सदस्यों की संख्या की बात करें तो वहां 342 सदस्य हैं. इसका सीधा मतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए पक्ष में 172 वोट चाहिए. अगर प्रस्ताव को 172 सदस्यों का अपना साथ मिला तो इमरान ख़ान को सत्ता से बाहर होना होगा.
लेकिन इमरान खान की पार्टी पीटीआई के पास नेशनल असेंबली में 155 सीटें हैं. उनकी मौजूदा सरकार गठबंधन के सहयोगियों के साथ से चल रही है. माना जाता है कि इनमें से ज़्यादातर पार्टियां सेना के बेहद क़रीब हैं.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायद-ए-आजम ( पीएमएल-क्यू) और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट इमरान सरकार की प्रमुख सहयोगी पार्टियां हैं. ये पार्टियां सार्वजनिक तौर पर इमरान सरकार पर आरोप लगा चुकी हैं की इन्हें पर्याप्त भागीदारी नहीं दी जा रही है. इन्हें तवज्जो नहीं मिल रही है.
इसके बाद अब विपक्ष के पास यही एक रास्ता बचा है कि सरकार के सहयोगी दलों को अपनी तरफ किया जाए.सरकार की सहयोगियों के अपने पाले में लाने की कोशिश के तहत पीएमएल-एन के नेता शाहबाज़ शरीफ़ ने चौदह साल बाद पीएमएल-क्यू के नेता से लाहौर में मुलाक़ात की. फिलहाल सहयोगी दलों ने विपक्ष का साथ देने के मामले में अभी कोई तस्वीर साफ नहीं की है. एक तरफ़ तो वह इमरान को आश्वस्त कर रहे हैं कि वो समर्थन वापस नहीं लेंगे लेकिन दूसरी ओर वे विपक्षी दलों के प्रस्ताव को भी सकारात्मक संकेत दे रहे हैं. यानी एक पार्टी दो नावों में सवारी कर रही है.
विपक्षी दलों ने पीडीएम से पिछले साल निकाल दी गई पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को भी इमरान सरकार के ख़िलाफ़ अपने अभियान में जोड़ लिया है.पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने भी इमरान सरकार के ख़िलाफ़ मार्च निकाला था.
लेकिन विपक्ष की इस कोशिश पर इमरान सरकार का कहना है की उसे अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के एलान की कोई चिंता नहीं है.
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहते है कि यह तेरहवीं बार है जब विपक्षी दल इमरान सरकार को हटाने की कोशिश कर रहे हैं.
विपक्षी दल इमरान सरकार के ख़िलाफ़ तेज़ी से बढ़ती महंगाई को मुद्दा बनाने के साथ उस पर कुप्रबंधन और अक्षमता का भी आरोप लगा रहे हैं. हालांकि इमरान सरकार ने पेट्रोल और बिजली की कीमतों में कटौती कर इस विरोध को थामने की कोशिश की है.
पीएम इमरान ख़ान ने खुद की सरकार की प्रमुख सामाजिक कल्याण योजना ''एहसास'' के जरिए और ज्यादा सब्सिडी का एलान किया है.