Photo | Unsplash
यूरोपियन यूनियन यूरोप के 28 देशों का एक पॉलिटिकल और इकोनॉमिकल प्लेटफॉर्म है। जहां पर ये सदस्य देश अपने एडिमिनिस्ट्रेटिव वर्क करते हैं, यूरोपीय यूनियन के नियम सभी सदस्य देशों पर लागू होते हैं।
1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपीय आर्थिक परिषद के जरिए छह यूरोपीय देशों ने अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर इसकी स्थापना की गई थी। इसमें समय के अनुसार बदलाव होता गया और 2007 में लिस्बन समझौते के तहत सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु हो पाई। आज यूरोपीय यूनियन में 6 से बढ़कर सदस्य देशों की संख्या अब 28 हो चुकी है।
यूरोपिय यूनियन के सदस्य राष्ट्र सिंगल विंडो मार्केट के तौर पर व्यापार करते हैं इसके कानून सभी सदस्य देशों पर लागू होता है, यूरोपीय यूनियन के नागरिकों को व्यापार के लिए चार सुविधाएं निश्चित तौर पर मिलती हैं। सिंगल विंडो बिजनेस का मतलब है कि कोई देश इसका सदस्य है तो वो सभी देशों में मुक्त व्यापार कर सकता है और ऐसा सभी 28 देश एक दूसरे के साथ करते हैं।
REUTERS/Yves Herman/File Photo
1999 में यूरोपिय संघ के 15 सदस्य देशों ने एक नई मुद्रा यूरो को अपनाया। इसके साथ यूरोपीय यूनियन ने अपनी विदेश, सुरक्षा, न्याय नीति का भी ऐलान किया। वहीं आप यदि इसके सदस्य हैं तो आपको बाकि 27 देशों में प्रवेश करने के लिए पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। बता दें कि यूरोपीय यूनियन के किसी देश में यात्रा करने के लिए पासपोर्ट की बाध्यता को भी खत्म कर दिया गया।
यूरोपीय संघ का सदस्य बनना एक जटिल प्रक्रिया है जो रातोंरात पूरी नहीं होती है। एक बार जब कोई आवेदक देश सदस्यता के लिए शर्तों को पूरा करता है, तो उसे अपने देश के सभी क्षेत्रों में यूरोपीय संघ के नियमों और विनियमों को लागू करना होता है।
ऐसे में सदस्यता की शर्तों को पूरा करने वाला कोई भी देश आवेदन कर सकता है। इन शर्तों को 'कोपेनहेगन स्टैंडर्ड' के तौर पर जाना जाता है और इसमें एक ओपन मार्केट इकॉनोमी के साथ एक मजबूत स्थिर लोकतंत्र और कानून का शासन के साथ यूरो सहित सभी यूरोपीय संघ के कानूनों की स्वीकृति शामिल होती है।
यूरोपीय संघ में शामिल होने का इच्छुक देश परिषद को एक सदस्यता आवेदन प्रस्तुत करता है, इसके बाद ईयू अपने आयोग से कोपेनहेगन मानदंडों को पूरा करने के लिए आवेदक की क्षमता का आकलन करने के लिए कहता है। यदि आयोग की राय पॉजिटिव होती है तो परिषद बातचीत के आदेश पर सहमती जताता है। इसके बाद बातचीत औपचारिक रूप से विषय-दर-विषय के आधार पर की जाती है। जिसमें लंबा समय लग सकता है। इसके बाद कहीं जाकर कोई देश यूरोपियन यूनियन का सदस्य बनता है।
Photo: VCG