अब तक सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यॉरिटी फोर्स के चीफ की जिम्मेदारी निभा रहे सुबोध जायसवाल को केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की कमान सौंपी गई है। उनका कार्यकाल 2 साल का होगा। महाराष्ट्र के डीजीपी रह चुके सुबोध जायसवाल को पुलिस सर्कल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का करीबी माना जाता है।
जायसवाल को पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंपी जानी थी
लेकिन सूत्रों के मुताबिक वह राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस को लेकर
राजनीतिक घमासान की वजह से इस पद के इच्छुक नहीं थे। इस वजह से
उन्हें CISF के प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई थी।
जायसवाल को 2018 में मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। उस समय इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि मुंबई सीपी के तौर पर उनकी नियुक्ति एनएसए डोभाल से चर्चा के बाद की गई थी। बाद में वह डीजीपी बने। कुछ महीने पहले उन्हें सेन्ट्रल डेप्युटेशन पर लाया गया। माना जाता है कि इसमें भी एनएसए डोभाल की अहम भूमिका थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र का डीजीपी रहते जायसवाल सूबे के नए राजनीतिक नेतृत्व के साथ काम करने में असहज महसूस कर रहे थे लिहाजा शिद्दत से सेंट्रल डेप्युटेशन खोज रहे थे। महाविकास अघाड़ी सरकार के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ पाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक जायसवाल और उद्धव सरकार में दरार पोस्टिंग्स और सीनियर आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर बढ़ी थी।
1985 बैच के महाराष्ट्र काडर के आईपीएस ऑफिसर जायसवाल को 2018 में मुंबई पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। तब के सीपी दत्ता पदसालगिकर को प्रमोट करके डीजीपी बनाया गया था। जब पदसालगिकर रिटायर हुए तो जायसवाल ने उनकी जगह ली।
सुबोध जायसवाल करीब एक दशक तक देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग (R&AW) में काम कर चुके हैं। मंगलवार को उन्हें सीबीआई डायरेक्टर नियुक्त किया गया। यह फैसला तब किया गया जब सीजेआई एनवी रमन और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सीबीआई चीफ के लिए उन 3 नामों पर सहमति जताई, जिनमें जायसवाल भी एक थे। इन तीन नामों में जायसवााल के अलावा 1985 बैच के आईपीएस ऑफिसर केआर चंद्रा और 1986 बैच के आईपीएस ऑफिसर वीएसके कौमुदी शामिल थे। इन तीन अफसरों की शॉर्टलिस्टिंग का मतलब था कि इनमें से किसी एक के नाम पर प्रधानमंत्री मुहर लगा सकते हैं।
सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला का दो साल का कार्यकाल तीन फरवरी को पूरा हो गया था, तब से एजेंसी बिना नियमित प्रमुख के काम कर रही थी।