चित्रकूट में मंथन का आज आखिरी दिन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उस मास्टर प्लान का खाका खींचने में जुटा है, जिसके आधार पर आगे भाजपा और केंद्र सरकार को चलना है। इस मंथन के बाद सरकार कुछ बड़े फैसले भी ले सकती है। इन फैसलों पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य के सुझाव भी असर डाल सकते हैं। रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में कोरोना के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर चर्चा की थी। उसी दौरान उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था।
दरअसल, 9 से 13 जुलाई तक चलने वाले इस मंथन से दो दिन पहले 7 जुलाई को संघ प्रमुख मोहन भागवत रामभद्राचार्य का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।
उसी दौरान जगद्गुरु ने गुरुमंत्र के तौर पर संघ प्रमुख को 7 मुद्दे दिए। इनमें धर्म परिवर्तन पर रोक और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ भले इन मुद्दों को माने या न माने, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो इन्हें मानेंगे ही।
रामभद्राचार्य से भागवत की मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली। इसके बाद उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख का DNA वाला बयान अनुकूल नहीं है। भागवत ने जो कहा वह उनकी नजर में ठीक होगा, मैंने जो कहा, वह मेरी नजर में ठीक है। मैं अपने बयान पर कायम हूं।
दरअसल, पिछले दिनों गाजियाबाद में मुस्लिम मंच की बैठक में भागवत ने कहा था, 'यदि कोई हिंदू कहता है कि मुसलमान यहां नहीं रह सकता है, तो वह हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है, लेकिन जो इसके नाम पर दूसरों को मार रहे हैं, वो हिंदुत्व के खिलाफ हैं। ऐसे मामलों में कानून को अपना काम करना चाहिए। सभी भारतीयों का DNA एक है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो।'
रामभद्राचार्य के मुद्दे संघ की बैठक में बहस के केंद्र में होंगे? इस सवाल पर जगद्गुरु ने कहा, 'संघ प्रमुख ने चिंतन करने की बात कही है। अब चर्चा होती है या नहीं, पर एक बात जरूर पता है कि अगर मैं मोदी से कुछ भी कहूंगा तो वो मेरी बात नहीं टालेंगे।' जब उन्होंने यह बात कही तो उनके चेहरे पर अडिग आत्मविश्वास था।
1. 2019 में प्रधानमंत्री के शपथ समारोह की एक तस्वीर लगातार टीवी में दिखाई जा रही थी। उस तस्वीर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए एक धर्म गुरु का हाथ पकड़कर उन्हें बैठाने के लिए ले जा रहे थे। ये अप्रैल 2018 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी करने वाले चित्रकूट के संत रामभद्राचार्य ही थे।
2. 2020 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्रकूट आए थे, तब व्यस्त शेड्यूल के बावजूद उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मिलने का वक्त निकाला था। जगदगुरु चित्रकूट में स्थित धार्मिक और सामाजिक संस्था तुलसी पीठ के फाउंडर और मुखिया हैं। स्वामी रामभद्राचार्य विश्व हिंदू परिषद के भी नेता हैं।
3. रामभद्राचार्य देश के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्वच्छता अभियान में कैंपेनर के रूप में पीएम के 9 रत्नों में भी शामिल थे।
रामभद्राचार्य जब दो माह के थे तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। रामचरित मानस का गहन अध्ययन रामभद्राचार्य ने किया है। 2015 में इन्हें पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा गया। रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में 4 जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक रामभद्राचार्य हैं। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस के बारे में बोलने के लिए केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में इन्हें अधिकार प्राप्त है। रामभद्राचार्य इलाहाबाद हाई कोर्ट में चले जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में एक्सपर्ट के तौर पर भी शामिल थे।