Rajasthan : उपचुनावों के मतदान से पहले Sachin Pilot के सियासी बयान के क्या है मायने ?

राजस्थान में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा के उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को मतदान होना है। मतदान से तीन दिन पहले 14 अप्रैल को पूर्व डिप्टी सीएम और 6 वर्ष तक लगातार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सचिन पायलट ने एक बार फिर सरकार और संगठन में मतभेद होने का मुद्दा उठा दिया है।
Rajasthan : उपचुनावों के मतदान से पहले Sachin Pilot के सियासी बयान के क्या है मायने ?
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Rajasthan : उपचुनावों के मतदान से पहले Sachin Pilot के सियासी बयान के क्या है मायने ? :

राजस्थान में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा के उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को मतदान होना है।

मतदान से तीन दिन पहले 14 अप्रैल को पूर्व डिप्टी सीएम और 6 वर्ष तक लगातार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे

सचिन पायलट ने एक बार फिर सरकार और संगठन में मतभेद होने का मुद्दा उठा दिया है।

Rajasthan : उपचुनावों के मतदान से पहले Sachin Pilot के सियासी बयान के क्या है मायने ? :उपचुनाव जीतने के लिए जहां अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूरी ताकत लगा रखी हैं,

वहीं पायलट का कहना है कि गत वर्ष कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बनाई गई कमेटी में जिन मुद्दों पर सहमति हुई थी उनकी पालना होना जरूरी है।

अब कोई कारण नहीं है, जिसके अंतर्गत निर्णयों की क्रियान्विति में विलम्ब किया जाए।

विधायकों ने जो मुद्दे उठाए हैं, उन पर कार्यवाही होनी चाहिए। दलित वर्ग के विधायकों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

पायलट ने यह भी कहा कि हाल ही में विधायकों ने जो मुद्दे उठाए हैं, उन पर कार्यवाही होनी चाहिए।

दलित वर्ग के विधायकों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई माह में पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे।

कोई एक माह दिल्ली में रहने के बाद पायलट और 18 विधायकों की मुलाकात राहुल गांधी से हुई थी।

पायलट और गहलोत के बीच मतभेद बरकरार

तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

मुद्दों को सुलझाने के लिए कमेटी में सहमति भी बन गई,

लेकिन सहमति की पालना आज तक नहीं हो पाई है।

पायलट के 14 अप्रैल के बयान से साफ जाहिर है कि पायलट और गहलोत के बीच मतभेद बरकरार है। गत वर्ष जुलाई की बगावत के बाद पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया। इन पदों की भरपाई भी पायलट को अभी तक नहीं की है और न ही बर्खास्त किए पायलट समर्थक मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को कुछ मिला।

गहलोत ने पिछले दिनों जो नियुक्तियां की उनमें पायलट की राय नहीं ली गई

गहलोत ने पिछले दिनों जो नियुक्तियां की उनमें भी पायलट की राय नहीं ली। सभी नियुक्तियां अपने राजनीतिक नजरिए से की। खास बात यह है कि कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष गुजर गए हैं। आखिर पायलट कब तक इंतजार करें। उपचुनाव के मद्देनजर पायलट ने अपने समर्थकों को संदेश दे दिया है कि वे मौजूदा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि पायलट के बयान से उपचुनावों में प्रतिकूल असर पड़ेगा।

कांग्रेस मुख्यालय में डोटासरा की उपस्थिति में ही पायलट ने अपनी बात रखी

कांग्रेस मुख्यालय में डोटासरा की उपस्थिति में ही पायलट ने मीडिया के समक्ष अपनी बात रखी है। अंबेडकर जयंती पर दलित वर्ग के विधायकों की नाराजगी का मुद्दा उठाकर पायलट ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। हालांकि सीएम गहलोत ने प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर डोटासरा का राजनीतिक कद बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन डोटासरा अपने ही बयानों से विवादों में उलझे रहे हैं।

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