आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद ने पाक अधिकृत कश्मीर में तालिबान के समर्थन में रैली की है। रैली का वीडियो वायरल हुआ है और इसमें आतंकी तालिबान की जीत पर खुशियां मनाते दिखाई दे रहे हैं।
इस घटना के साफ हो गया है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने का नाटक करता रहा है। लश्कर और जैश के कमांडरों ने रैलियों को संबोधित भी किया।
दरअसल तालिबान की जीत पर पाकिस्तान अपनी खुशी छुपा नहीं पा रहा और खुद प्रधानमंत्री इमरान खान तक ने इसकी तारीफ कर डाली है।
इमरान खान ने यहां तक कह डाला था कि अफगान लोगों ने 'दासता की जंजीरें तोड़ दी' हैं।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान ने बताया था कि किस तरह अफगानिस्तान में विदेशी संस्कृति थोपे जाने के कारण 'मानसिक गुलामी' फैली हुई थी।
हालांकि भले ही अभी पाकिस्तान सीधे तौर पर तालिबान का समर्थन कर रहा है, लेकिन FATF की बैठक में उसे इस बात पर जवाब देना पड़ सकता है। इससे पहले भी टेरर फंडिंग को लेकर पाकिस्तान की आलोचना अमेरिका की तरफ से की जा चुकी है।
पाकिस्तान इस वक्त अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की आलोचना भी कर रहा है, जिसका उसे खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई न करने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान की फंडिंग भी रोकी थी। उसी हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी अब तालिबान शासन में अहम रोल में होगा।
इससे पहले खबर आई है कि तालिबान अपने पहले मेहमान के स्वागत के लिए तैयार है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के अफगानिस्तान पहुंचने की अटकलें हैं। टोलो न्यूज ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा था कि कुरैशी का काबुल का प्रोग्राम तय हो चुका है।
अगर कुरैशी काबुल पहुंचते हैं तो तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान जाने वाले वो पहले विदेशी लीडर होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों ने टोलो न्यूज से कहा कि कुरैशी के काबुल जाने की वजह सिर्फ यही है कि वो नई अफगानी सरकार में अपना रोल निभाएं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है।