2 साल पहले दोस्तों के साथ शुरू किया ई-बाइक का बिजनेस, आज भारत और विदेश से 70 करोड़ रुपये का कारोबार

पुणे के कुणाल गुप्ता ने पहला स्टार्टअप साल 2014 में मास्टर्स के दौरान शुरू किया था। जिसकी सफलता के बाद उन्होंने 2020 में ई-बाइक का कारोबार शुरू किया और भारत की एकमात्र ड्यूल सस्पेंशन ई-बाइक बनाई। अपने क्षेत्र के दोस्तों के साथ इस बिजनेस की शुरुआत कर कुणाल न सिर्फ प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं बल्कि करोड़ों का बिजनेस भी कर रहे हैं।
2 साल पहले दोस्तों के साथ शुरू किया ई-बाइक का बिजनेस, आज भारत और विदेश से 70 करोड़ रुपये का कारोबार
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डेस्क न्यूज़- पुणे के कुणाल गुप्ता ने पहला स्टार्टअप साल 2014 में मास्टर्स के दौरान शुरू किया था। जिसकी सफलता के बाद उन्होंने 2020 में ई-बाइक का कारोबार शुरू किया और भारत की एकमात्र ड्यूल सस्पेंशन ई-बाइक बनाई। अपने क्षेत्र के दोस्तों के साथ इस बिजनेस की शुरुआत कर कुणाल न सिर्फ प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं बल्कि करोड़ों का बिजनेस भी कर रहे हैं। कुणाल ने पहली बार 2014 में स्टार्टअप के तौर पर प्रयोग शुरू किया था। इस बिजनेस ने कम समय में ही मार्केट में अपनी जगह बना ली और कंपनी जल्द ही ढाई सौ करोड़ के वैल्यूएशन पर पहुंच गई। कुणाल इस कंपनी के सीईओ बने और साल 2019 में एक नामी कंपनी ने इस स्टार्टअप को हायर किया।

 'ई-मोटोरैड' की शुरुआत

इसकी सफलता के बाद कुणाल एक बार फिर कुछ नया करने के लिए तैयार थे। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी चीजों पर रिसर्च की। जिसके बाद साल 2020 में पुणे से ई-साइकिल स्टार्टअप 'ई-मोटोरैड' की शुरुआत हुई। जिसके जरिए कुणाल और उनके तीन पार्टनर राजीव गंगोपाध्याय, आदित्य ओझा, सुमेध बटेवर भारत समेत 72 से ज्यादा देशों के लिए किफायती ई-साइकिल बना रहे हैं।

4 दोस्तों की खुबियां

कुणाल की रुचि बिजनेस और फाइनेंस में है। वही कंपनी के सह-संस्थापक आदित्य मार्केटिंग, राजीव इंटरनेशनल सेल्स और सुमित बिजनेस डेवलपमेंट संभालते हैं। राजीव और कुणाल की दोस्ती एक प्रोजेक्ट के दौरान हुई थी। वहीं, मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान कुणाल की दोस्ती ई-मोटोरैड के तीसरे फाउंडर आदित्य से हो गई थी। उनके चौथे और अंतिम सह-संस्थापक सुमित वैंडर रहे हैं। दोनों की मुलाकात एक असाइनमेंट के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे दोनों ने एक-दूसरे के काम को समझा और आज वे कंपनी के को-फाउंडर हैं। चारों की खुबियां एक साथ मिली और ई-मोटोरैड की शुरू हुई।

विदेश से शुरुआत

कुणाल बताते हैं कि 'अमेरिका और यूरोप के लोगों को ई-बाइक के बारे में काफी जानकारी है। हम भारतीयों को भी इस बारे में जागरूक करना चाहते थे, ताकि देश में बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके। हम भारत को दोपहिया और ई-बाइक का हब बनाना चाहते थे। यहीं से 'ई-मोटोरैड' की शुरुआत हुई थी। यह विचार सबसे पहले हमारे सह-संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय बिक्री विशेषज्ञ राजीव के पास आया। उन्होंने यूरोप, अमेरिका, चीन जैसे विकसित देशों में इस्तेमाल की जा रही ई-बाइक के बारे में जानकारी जुटाई।

अपने शोध कार्य का जिक्र करते हुए कुणाल कहते हैं कि 'जब टीम ने भारतीय बाजार पर शोध शुरू किया तो हमारे सामने दुपहिया वाहन की एक अलग ही तस्वीर बन गई। हीरो होंडा, बजाज जैसे ब्रांडों ने भारत के दोपहिया वाहनों के लिए पूरी दुनिया में जगह बनाई है। इनसे प्रेरणा लेकर हमने तय किया कि हम भारत में ई-मोटर्स का एक बड़ा ब्रांड बनाएंगे जो ई-वाहनों को पूरी दुनिया में ले जाएगा। इस वजह से हमने भारत में हेड ऑफिस रखा है, जहां से विदेशों में बैठी सभी टीमों का संचालन किया जाता है।

48 लोगों की एक टीम शोध करती हैं

कुणाल बताते हैं कि 'हमने अपने स्टार्टअप की शुरुआत सेल्स एंड सप्लाई मार्केट से की थी। हमने व्यवसाय स्थापित होते ही ई-बाइक का निर्माण शुरू कर दिया। हमारे पास भारत में 48 लोगों की एक टीम है जो हर देश पर शोध करती है जिसके बाद देश के अनुसार ऑर्डर दिए जाते हैं।

भारत के लिए चार बाईक

कुणाल 4 खास उत्पादों का जिक्र करते हुए कहते हैं कि भारत विविधताओं का देश है। यहां आपको समुद्र से लेकर पहाड़, ग्लेशियर, बीच, रेगिस्तान सब कुछ मिल जाएगा। भारत का में एक प्रोडक्ट से काम नही चलता। इसलिए हमने भारत के लिए 28 अलग-अलग उत्पादों का डिजाइन और परीक्षण किया। इनमें से केवल 4 ई-वाहनों को जलवायु और भूमि की गुणवत्ता के आधार पर अंतिम रूप दिया गया था। हर राज्य, जिले, शहर में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग मांगें हैं। हम अपने उत्पादों को हर क्षेत्र के अनुसार डिजाइन करते हैं। ऑफिस वर्कर्स से लेकर ट्रैकर्स और डिलीवरी बॉय तक ई-बाइक डिजाइन की गई हैं। वर्तमान में हमारे पास भारतीय सड़कों पर 2000 से अधिक ई-बाइक चल रही हैं।

साइकिल और ई-बाइक के कारोबार को कोरोना से फायदा

जब कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ तो कई व्यवसायों को बहुत नुकसान हुआ। लेकिन स्वास्थ्य के प्रति लोगों का नजरिया बढ़ा है। इस बारे में कुणाल बताते हैं, 'जहां लोगों के कारोबार को कोरोना की वजह से काफी नुकसान हो रहा था। और हमारे व्यवसाय को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। महामारी के बाद लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2020 में 16 करोड़ साइकिलें खरीदी गईं, जबकि इससे पहले हर साल सिर्फ 6 करोड़ साइकिल ही खरीदी जाती थीं। साइकिल और ई-बाइक के कारोबार को कोरोना से काफी फायदा हुआ है।

कुणाल और उनके दोस्त ने अपनी बचत से इस व्यवसाय की शुरुआत की। उन्होंने इस स्टार्टअप में अब तक 18 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसका टर्नओवर अब 70 करोड़ रुपये सालाना है।

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