जयपुर कमिश्नरेट की जनता को सौगात,अब क्लिक करते ही जमा होगा चालान,नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट- कचहरी के चक्कर

जयपुर जिले के मोबाइल मजिस्ट्रेट न्यायालय क्रम दो को वर्चुअल कोर्ट का प्रभार दिया गया है। इसके लिए ईकोर्ट प्रोजेक्ट के तहत एक सॉफ्टवेयर बन चुका है। जिसका विभिन्न राज्यों में सफलतापूर्वक उपयोग हो रहा है।
अब वर्चुअल कोर्ट online ही न्यायिक आदेश पारित कर जुर्माना अधिरोपित कर सकेंगे
अब वर्चुअल कोर्ट online ही न्यायिक आदेश पारित कर जुर्माना अधिरोपित कर सकेंगे

राजधानी जयपुर में अब जयपुर वासियों के लिए कमिश्नरेट की और से एक अच्छा निर्णय लिया गया है। आम जनता को अब ई चालानों में राहत मिलेगी,आम नागरिको को लम्बी न्यायिक प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।

जयपुर कमिश्नरेट इलाके में काटे जाने वाले ई-चालानों का अब जल्द निस्तारण होगा। दरअसल, अब ये चालान वर्चुअल कोर्ट में पेश किए जाएंगे। इसमें वे सभी चालान शामिल हैं जो यातायात पुलिस या थानों की पुलिस काटती है। इसके लिए अब वर्चुअल कोर्ट online ही न्यायिक आदेश पारित कर जुर्माना अधिरोपित कर सकेंगे। इसका फायदा यह होगा कि चालानों का निस्तारण जल्द हो सकेगा। साथ ही पुलिस व न्याय विभाग के साथ ही आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।

मोबाइल मजिस्ट्रेट न्यायालय क्रम दो को वर्चुअल कोर्ट का प्रभार दिया गया है।
मोबाइल मजिस्ट्रेट न्यायालय क्रम दो को वर्चुअल कोर्ट का प्रभार दिया गया है।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस कोर्ट के संचालन के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। जल्द ही यह पूरी प्रणाली शुरू हो जाएगी और जयपुर वासियो को इसका लाभ मिलेगा।

वहीं, इस वर्चुअल कोर्ट के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए पॉप अप मैसेज और हेल्पलाइन का लिंक राजस्थान उच्च न्यायाल की वेबसाइट पर दिया गया है।

मैसेज से मिलेगी सूचना, ऑनलाइन जमा होगा जुर्माना वर्चुअल कोर्ट जितना जुर्माना अधिरोपित करेगा उसकी जानकारी एक मैसेज के माध्यम से संबंधित व्यक्ति को पहुंचेगी। मैसेज मिलने के बाद वह व्यक्ति online ही जुर्माना राशि जमा करा सकेगा। जयपुर जिले के मोबाइल मजिस्ट्रेट न्यायालय क्रम दो को वर्चुअल कोर्ट का प्रभार दिया गया है। इसके लिए ईकोर्ट प्रोजेक्ट के तहत एक सॉफ्टवेयर बन चुका है। जिसका विभिन्न राज्यों में सफलतापूर्वक उपयोग हो रहा है।

जयपुर की जनता को होंगे ये 2 बड़े फायदे

वर्चुअल कोर्ट बनाने से ऐसे मामले जिनका निस्तारण केवल जुर्माना राशि से हो सकता है, उसके लिए आम जनता को न्यायालयों में आकर लंबी न्यायिक प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। साथ ही न्यायालयों में इन प्रकरणों के दर्ज होने से निस्तारण होने तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को बचाया जाएगा। जिसका उपयोग गंभीर एवं पुराने मामलों के निस्तारण में किया जा सकेगा

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