कोरोना के साथ लड़ाई लड़ रहे डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने की दलील पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। अदालत ने पूछा कि क्या उच्च न्यायालय इस मामले की निगरानी नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है कि डॉक्टरों की सैलरी में कटौती नहीं की जाएगी और मुख्य सचिव यह सुनिश्चित करेंगे, अन्यथा कड़ी सजा मिलेगी।
इसके साथ, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल को शाम तक संबंधित अधिकारियों को इस बारे में सूचित करना होगा। केंद्र द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किए जाने के बाद, प्रत्येक राज्य चार सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगा।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डॉक्टरों को वेतन न देना एक आपराधिक अपराध माना जाएगा और सजा को आकर्षित करेगा। प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी डॉक्टरों को उनके वेतन का विधिवत भुगतान किया जाए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम सब कुछ सही ढंग से कर रहे हैं, ऐसी याचिकाओं को प्रतिकूल नहीं माना जा सकता। हम डॉक्टरों और नर्सों का विशेष ध्यान रख रहे हैं, जहाँ भी संभव हो, संगरोध सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। याचिकाकर्ता की ओर से केवी विश्वनाथन ने कहा कि हमें उच्चतम न्यायालय से संगरोध सुविधा और वेतन पर स्पष्ट आदेश की आवश्यकता है।
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