न्यूज – लोकतंत्र में आंदोलन करने का अधिकार सबको है, सब कोई दुसरों के हक के बारे में नहीं सोच रहा हो तो उन्हें खुद हक की लडाई लडनी पडती है,राजस्थान से कुछ ऐसी तस्वीरें आयी है जो मानवता को तो शर्मसार करती ही है, लेकिन कानून के रखवालों पर भी कई सवाल खडें करती है,
राजस्थान में हाल ही में छात्रसंघ चुनाव संपन्न हुए है, जब बात चुनावों की हो तो संभव है कि रैली करना, आंदोलन करना, और विरोध प्रर्दशन करना ऐसी खबरें तो आती ही है, और लोकतंत्र इसकी इजाजत भी देता है, लेकिन खबर ये आये कि पुलिस सख्ती के नाम पर बिना समझाइस किये स्टुडेंस को बेहरमी से पीट रही है,तो फिर पुलिस पर सवाल तो उठेंगे ही,
राजस्थान में सीकर और अलवर से छात्रसंघ चुनावों के आय़े परिणामों के बाद कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आयी जंहा छात्रों को बेहरमी से पीटा गया। यंहा तक कि लडकियों पर हाथ उठाने के लिए भी प्रशासन ने महिला पुलिस की मौजूदगी जरूरी नहीं समझी, सरे आम देश की बेटियों को पीटा गया, उनका अपमान किया गया,
पुलिस बेटियों को बेरहमी से पीटती रही, और अपने आप को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहने वाला मीडियाकर्मी बिना कोई सवाल किये, फोटो क्लिक करते रहे वीडियों बनाते रहे, अलवर से भी ऐसी ही तस्वीरें आयी,
छात्राओं को पीटने का मामला अब तूल पकड़ कर रहा, जिसके बाद राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी हरकत में आयी है। और छात्रसंघ चुनाव परिणामों के दौरान छात्रों को पीटने वाले अलवर के कोतवाली थाना प्रभारी कन्हैया लाल को संस्पेंड कर दिया गया।
सीकर में एसएफआई कार्यकर्ताओं पर पुलिस के लाठीचार्ज मामले में उच्चस्तरीय जांच की जाएगी। इसके लिए डिवीजन कमीश्नर ने सीकर जिला कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है, साथ एडीएम के नेतृव्य में पांच लोगों की टीम इस मामलें की जांच करेगी जिसके बाद शायद पुलिस के कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।