सुप्रीम कोर्ट में दूरसंचार कंपनियो से बकाया वसूलने के लिए याचिका

इन कंपनियों ने भी अपनी आंतरिक बातचीत और सिग्नल के लिए दूरसंचार विभाग से टेलीकॉम लाइसेंस ले रखा है।
सुप्रीम कोर्ट में दूरसंचार कंपनियो से बकाया वसूलने के लिए याचिका
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न्यूज –   दूरसंचार कंपनियों से सुप्रीम कोर्ट के अक्तूबर 2019 में दिए गए आदेश के अनुसार बकाया वसूलने के लिए एक याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय इस संबंध में दूरसंचार कंपनियों और विभाग को जल्द दिशा-निर्देश जारी करे। जनहित याचिका में दूरसंचार विभाग के कंपनियों के बकाया भुगतान न करने पर किसी भी तरह की दण्डात्मक कार्रवाई नहीं करने वाले आदेश को भी निरस्त करने की मांग भी की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि वो समायोजित एकल राजस्व (एजीआर) के मामले में सरकारी कंपनियों द्वारा दायर की गई सुधारात्मक याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी सरकारी कंपनियों को भी एजीआर भरने के लिए कहा था। इन कंपनियों ने भी अपनी आंतरिक बातचीत और सिग्नल के लिए दूरसंचार विभाग से टेलीकॉम लाइसेंस ले रखा है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता में गठित पीठ अगले हफ्ते इसकी सुनवाई करेगी। यह सुनवाई वोडाफोन आइडिया और एयरटेल द्वारा दायर की गई सुधारात्मक याचिका के साथ ही होगी। इन कंपनियों ने भी एजीआर का भुगतान करने की तारीख को आगे बढ़ाने की कोर्ट से अपील की है।

दूरसंचार विभाग (डॉट) ने गेल, ऑयल इंडिया और पावरग्रिड जैसी गैर दूरसंचार कंपनियों से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की मांग की है। इन कंपनियों के ऊपर ऐसी किसी धनराशि की देनदारी नहीं बनती है। डॉट गेल इंडिया से 1.72 लाख करोड़ रुपये, ऑयल इंडिया से 48 हजार करोड़ रुपये, पावरग्रिड से 40 हजार करोड़ रुपये और रेल व एक अन्य सरकारी कंपनी से ऐसी ही मांग कर रहा है।

डॉट की यह मांग सरकारी कंपनियों की कुल नेटवर्थ से काफी ज्यादा है। प्रधान ने कहा, 'हम दूरसंचार मंत्रालय से बातचीत कर रहे हैं। हमने मांग पर अपना जवाब दे दिया था। संभवत: संवाद की कमी के चलते भारत सरकार का एक विभाग, दूसरे विभाग के अंतर्गत आने वाली पीएसयू से ऐसी मांग कर रहा है।'

दूरसंचार कंपनियों को सांविधिक बकायों के रूप में सरकार को लगभग 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं। वहीं सरकार की 26.12 फीसदी हिस्सेदारी वाली टाटा कम्युनिकेशंस ने भी डॉट की 6,633 करोड़ रुपये की एजीआर मांग के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को सुनवाई के लिए शामिल नहीं किया है। कंपनी ने कहा कि उसने सितंबर तिमाही में डॉट से मिले मांग नोटिस का जवाब दे दिया है, लेकिन विभाग की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

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