सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा प्रस्तुत करते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि राफेल डील की प्रगति पर पीएमओ की निगरानी को समानांतर वार्ता (पैरेलल नेगोटिएशन्स ) नहीं कहा जा सकता है. शीर्ष अदालत को सौंपे गए हलफनामे में सरकार ने कहा, "इस सरकारी प्रक्रिया से पीएमओ द्वारा प्रगति की निगरानी को हस्तक्षेप या समानांतर वार्ता के रूप में नहीं देखा जा सकता है."