डेस्क न्यूज़- कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई राजनीतिक पारी ने पंजाब से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस को अगले विधानसभा चुनाव में कैडर वोटों के बंटने का डर है। कांग्रेस समझ चुकी है कि अमरिंदर भले न जीतें, लेकिन उनकी जीत के लिए खतरा जरूर बनेगा। नई पार्टी बनाकर अमरिंदर को चुनाव लड़ने से कांग्रेस रोकना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उनसे मुलाकात कर बातचीत की है।
कैप्टन के पार्टी बनते ही कांग्रेस में फूट पड़ने की संभावना है। सिद्धू के राज्याभिषेक से कई बड़े नेता नाराज हैं। वह कप्तान के साथ धीरे-धीरे जा सकते है। वही कांग्रेस का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक है। कैप्टन करीब 42 साल तक कांग्रेस में रहे। वह 3 बार पंजाब के मुख्यमंत्री और 2 बार साढ़े 9 साल तक सीएम रहे। ऐसे में अलग से चुनाव लड़ने पर वोट बैंक बंट जाएगा। इतना ही नही कांग्रेस में टिकट बंटवारे के समय सभी को संतुष्ट करना मुश्किल होता है। खासकर कलह में घिरी पंजाब कांग्रेस के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी। ऐसे में बागी कांग्रेसी कप्तान पकड़ कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सूत्रों की माने तो सीएम चरणजीत चन्नी को दिल्ली बुलाया गया और उनकी राय भी ली गई। चन्नी ने सांसद अंबिका सोनी, अजय माकन और पवन बंसल से मुलाकात की। सीएम ने कैप्टन के चुनाव लड़ने की स्थिति में कांग्रेस को हुए नुकसान की भी बात कही है। हालांकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर कांग्रेस या सीएम की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है।
हालांकि अमरिंदर ने उन्हें साफ जवाब दिया है कि वह किसी भी हाल में 117 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पंजाब में कांग्रेस की हालत को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व भी विकल्प तलाश रहा है। खासकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पारी से निपटने के लिए मंथन चल रहा है। कांग्रेस भी जल्द जिलाध्यक्षों का ऐलान कर सकती है। इससे संगठन को बांधे रखने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए नवजोत सिद्धू को जल्द ही दिल्ली बुलाया जा सकता है।
सूत्रों की माने तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के साथ किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। अगर किसान आंदोलन के लिए सर्वसम्मति से कोई समाधान निकाला जाता है, तो हम आगे देखेंगे।