डेस्क न्यूज़- बीकानेर की नूर फातिमा एक ऐसी बिमारी से जूझ रही थी, जो करोड़ों बच्चों में से एक को होती है, जिसके लिए उसे 16 करोड़ का इंजेक्शन लगवाना था। इस बेटी को बचाने के लिए परिचितों ने दो महीने पहले जनता के सहयोग से पैसे इकट्ठा करने का सिलसिला शुरू किया था। सिर्फ 40 लाख रुपए ही जमा हुए थे कि मंगलवार को नूर फातिमा की मौत हो गई। बॉलीवुड हस्तियों ने भी इस बच्ची के लिए फंड जुटाने की पहल की थी।
इस बच्ची को एसएनएम नाम की बीमारी थी। इसके इलाज के लिए जोलगेन्स्मा इंजेक्शन लगाया जाता है। इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। एक सामान्य परिवार से आने वाली नूर फातिमा के पिता जीशान के लिए यह संभव नहीं था। ऐसे में उनके परिवार और दोस्तों ने जनता के सहयोग से पैसे इकट्ठा करने का सिलसिला शुरू कर दिया। सोशल मीडिया के जरिए जब अपील का दौर शुरू हुआ तो चालीस लाख रुपये भी एकत्र हो गए। मगर यह राशि ऊँट के मुँह में जीरे के समान सिद्ध हुई। समय पर नूर को यह इंजेक्शन न मिलने से उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई।
पैदा होते ही नूर शरीर के एक हिस्से का संचालन नहीं कर पा रही थी। जयपुर के जे.के. लोन अस्पताल में उसका इलाज करवाया गया। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उन्हें स्पाइनल मस्कुलर एंट्रोपी टाइप वन है। यह एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है, जिसका इलाज संभव है लेकिन बहुत महंगा है। इसके लिए विदेश से एक इंजेक्शन मंगवाना होगा, जिसका नाम जोलगेन्स्मा है और कीमत सोलह करोड़ रुपये है। इस इंजेक्शन से उसके शरीर के अन्य अंग काम करना शुरू कर सकते हैं।
बीकानेर के बॉलीवुड गायक राजा हसन के साथ-साथ तोशी साबरी, मिस एशिया पैसिफिक पूर्व अनुपमा सोनी ने भी नूर के लिए क्राउड फंडिंग के लिए समर्थन की अपील की थी। बीकानेर जिला कलेक्टर नमित मेहता ने भी इस मामले की पूरी जानकारी लेने के बाद सहयोग का आश्वासन दिया था।
नूर के परिजन बताते हैं कि मासूम के पिता और चाचा के खाते में करीब तीस लाख रुपये आए हैं, जबकि दस लाख रुपये सामाजिक संस्थाओं के पास हैं। इन संस्थाओं को यह राशि वापस लेने को कहा गया है। वहीं, जिन लोगों ने सीधे खाते में राशि जमा की थी, उन्हें भी वापस कर दिया जाएगा। जिस खाते से पैसा आया है उसी खाते में पैसा वापस करने का प्रयास किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति धन वापस नहीं लेता है, तो उसे किसी नेक काम में खर्च किया जाएगा।