राजस्थान में बहुत समय से मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर असमंजस की स्तिथि बनी हुई है। दिसंबर में गहलोत सरकार को सत्ता में आए तीन साल पुरे हो जाएंगे। और शायद तभी गहलोत मंत्रिपरिषद का पहला मंत्रिमंडल फेरबदल होगा। इसके लिए कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार ने सोनिया गाँधी से मिलकर विचार – विमर्श किया था। इस वार्तालाप के बाद अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल फेरबदल को हरी झंडी दे दी थी। अब राजस्थान में मंत्रीमंडल फेरबदल को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। यह तो तय है की मंत्रिमंडल फेरबदल की तारीख कभी भी आ सकती है। लेकिन इससे पहले सियासी हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो चूका है।
चर्चाएं तेज़ है की इस फेरबदल में कौन कौन से नए चेहरे शामिल होंगे और किन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। क्या सचिन पायलट की मांगो को स्वीकार किया जाएगा ? बता दें की वर्तमान में गहलोत मंत्रिपरिषद में कुल 20 मंत्री है, जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री है। लेकिन जो तय कोटा है उस हिसाब से मंत्रिपरिषद में कुल 30 मंत्री बनाये जा सकते है। यानि फिलहाल गहलोत मंत्रिपरिषद में कुल 10 पद खाली है। और सीएम पहले ही नए सिरे से कैबिनेट का निर्माण करने का बयान दे चुके है।
राजस्थान में 13 ज़िले ऐसे है, जिनसे गहलोत सरकार में फिलहाल एक भी मंत्री शामिल नहीं है। इन जिलों से मंत्रियो को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। ये ज़िले है – उदयपुर, प्रतापगढ़,डूंगरपुर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूं, सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर और करौली।
गहलोत मंत्रिपरिषद में वर्तमान में तीन मंत्री डोटासरा, रघु और हरीश ऐसे मंत्री है, जिनके कंधो पर एक से अधिक राज्यों का भार है। नया फॉर्मूला जो की एक व्यक्ति एक पद का है, उस हिसाब से इन्हें मंत्री पद से हटाए जाने की संभावना है। नए फॉर्मूले के हिसाब से अब जातीय, क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को साधने का प्रयास होगा। इस हिसाब से पीसीसी चीफ डोटासरा और हरीश चौधरी की जगह जाट चेहरों को तवज्जों दी जाएगी। जाट चेहरों में रामलाल जाट, बृजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी और नरेंद्र बुड़ानिया के नाम सुर्खियों में है। साथ ही रघु शर्मा की जगह राजेंद्र पारीक, महेश जोशी और राजकुमार शर्मा का नाम दावेदारों की सूचि में शामिल है।
प्रदेश आलाकमान पहले ही कह चुके है की पार्टी के कठिन समय में सहयोग देने वाले बसपा और निर्दलीय से कांग्रेस शामिल हुए विधायकों को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिलेगी। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जोगिंदर सिंह अवाना और लाखन सिंह दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, निर्दलीयों में महादेव सिंह खंडेला और संयम लोढ़ा का नाम सुर्खियों में है।
दलित मंत्री मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद गहलोत कैबिनेट में दलित मंत्री का पद खाली है। अब इस पद पर मंजू मेघवाल को मंत्री नियुक्त किए जाने की संभावना है। साथ ही दलित मंत्रियों की इस कड़ी में खिलाड़ी लाल बैरवा, परसराम मोरदिया, अशोक बैरवा और गोविंद मेघवाल भी दावेदारों की सूची में है। वहीं, आदिवासी चेहरों में दयाराम परमार और महेंद्रजीत मालवीय का नाम शामिल है। बात करें पायलट कैंप की तो, पायलट कैंप से मुरारीलाल मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, बृजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी और रमेश मीणा मंत्री बनने के दावेदार हैं।
अल्पसंख्यक दल से अमीन खान और जाहिदा का नाम दावेदारों में शुमार है। वहीं, दूसरी ओर गुर्जर चेहरों में शकुंतला रावत, डॉ. जितेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह बिधूड़ी के नाम दावेदारों की सूची में है।