दिल्ली में कैबिनेट फेरबदल को लेकर बैठकें जारी है। सचिन पायलट ने नाराज़ होकर कांग्रेस के विपक्ष में रहते हुए अपने साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं को सरकार में पद देने की मांग उठाई है। सचिन पायलट ने देर रात वीडियो ट्वीट कर अपनी मांगों पर अपना रुख साफ करने के साथ ही अपने समर्थकों को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। पायलट ने सुलह समिति द्वारा तय किए गए मुद्दों को जल्द से जल्द पूरा करने और विपक्ष में काम करने वालों को अवसर देने की वकालत की है। पायलट ने लंबे समय बाद खुलकर बात की है।
पायलट ने वीडियो में कहा- हम शुरू से ही मांग करते रहे हैं कि जहां जरूरत हो वहां बदलाव करें। मैं फिर दोहराता हूं कि अब लगभग तीन साल हो गए हैं। जो कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और जिन्होंने कांग्रेस के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया है, उन्हें सरकार में भागीदारी मिलनी चाहिए। हम नेता तो भाषण देकर आ जाते हैं, लेकिन कार्यकर्ता बूथ पर कांग्रेस का झंडा फहराकर लड़ते हैं। मैंने उन लोगों को सम्मान देने की लड़ाई और संघर्ष के बारे में बात की थी। मैं आज भी उस पर कायम हूं।
पायलट ने कहा- राजनीतिक नियुक्तियां हो या भागीदारी, जिन्होंने समर्पण के साथ भाजपा सरकार को हराने का काम किया है, इतने सारे कार्यकर्ताओं को यह महसूस होना चाहिए कि सरकार में हमारी भागीदारी है। प्रदेश अध्यक्ष भी इस भागीदारी को सुनिश्चित करने की बात कहते रहते हैं और मैं भी कहता रहता हूं। मुझे लगता है कि इसे बहुत जल्द किया जाना चाहिए, क्योंकि राजस्थान में चुनाव केवल 22-23 महीने दूर रह गया हैं।
सचिन पायलट ने 1 मिनट 13 सेकेंड के वीडियो में दो अहम बातें राजनीतिक तौर पर कही हैं। पायलट की बात का मतलब है कि मूल कांग्रेस के विधायकों को निर्दलीय और बसपा से आने वाले विधायकों से पहले पद दिया जाना चाहिए। पायलट ने भाजपा शासन में संघर्ष करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों से लेकर कैबिनेट पदों तक की वकालत की है। अपने इस बयान के जरिए पायलट ने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भरोसा भी दिलाया है कि वह उनके लिए अब भी लड़ रहे हैं।
इससे पहले सचिन पायलट ने विपक्ष में रहकर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को पद देने का मुद्दा उठाया था। पायलट पिछले साल विद्रोह से पहले और सुलह के बाद भी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं। सुलह समिति के सामने भी पायलट और उनके समर्थकों ने यह मांग रखी थी कि गठबंधन सरकार होने के बावजूद बाहर से आने वालों को विपक्ष में रहकर संघर्ष करने वालों की कीमत पर वरीयता नहीं मिलनी चाहिए। पायलट कैंप की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ टकराव की एक वजह यह मुद्दा भी है। गहलोत बसपा, निर्दलीयों से कांग्रेस में आने वालों को मंत्री बनाने से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों में हिस्सा देना चाहते हैं, जबकि पायलट शुरू से ही इसके खिलाफ हैं।