महंत नरेंद्र गिरि: 300 साल पुरानी गद्दी के लिए गुरू नरेंद्र गिरि से लड़ रहे थे आनंद, कई बार समझौते के बाद भी नही थम रहा था विवाद

आनंद गिरि संदेह के घेरे में हैं क्योंकि उनका नरेंद्र गिरि से विवाद काफी पुराना था। इसका कारण बाघंबरी सिंहासन की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि ने संभाला था। कुछ साल पहले आनंद गिरी ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद और गहरा गया था।
महंत नरेंद्र गिरि: 300 साल पुरानी गद्दी के लिए गुरू नरेंद्र गिरि से लड़ रहे थे आनंद, कई बार समझौते के बाद भी नही थम रहा था विवाद

डेस्क न्यूज़- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आनंद गिरि संदेह के घेरे में हैं क्योंकि उनका नरेंद्र गिरि से विवाद काफी पुराना था। इसका कारण बाघंबरी सिंहासन की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि ने संभाला था। कुछ साल पहले आनंद गिरी ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद और गहरा गया था। आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का भी आरोप लगाया था।

नरेंद्र गिरि ने मोदी और योगी को लिखी थी चिट्‌ठी

2018 में ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप में फंसे आनंद गिरि ने यह भी आरोप लगाया था कि नरेंद्र गिरि ने उन्हें छुड़ाने के नाम पर कई बड़े लोगों से 4 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की थी। इसके बाद नरेंद्र गिरि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जान को खतरा बताया था।

गुरु- शिष्य में हुआ था समझोता

हालांकि कुछ महीने पहले गुरु-शिष्य में भी समझौता हो गया था। तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि के चरणों में गिरकर क्षमा मांगी थी। आनंद ने कहा था, 'मैं अपनी हरकत के लिए पंच परमेश्वर से भी माफी मांग रहा हूं। सोशल मीडिया, अखबारों, टीवी चैनलों पर मेरे द्वारा जो भी बयान जारी किए गए हैं, मैं उन्हें वापस लेता हूं। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को वापस लेते हुए आनंद गिरी को माफ कर दिया।

अखाड़ा परिषद को देना पड़ा था दखल

इस मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप से विवाद खत्म हो गया था। इसके बाद गुरु पूर्णिमा के दिन आनंद गिरि अखाड़े में अपने गुरु की पूजा कर पाए। इसके साथ ही अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगी रोक को भी हटा दिया गया। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आनंद गिरी का अखाड़े से निष्कासन वापस किया गया था या नहीं।

बता दे कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने इस साल 14 मई को आनंद गिरी को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से उनके परिवार से संबंध रखने के आरोप में निष्कासित कर दिया था। उनके गुरु नरेंद्र गिरि ने कहा था कि आनंद गिरि बड़े हनुमान मंदिर में आने वाले दान का पैसा अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वर की सहमति से आनंद गिरी के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की गई।

पेट्रोल पंप खोलने पर विवाद

बताया जाता है कि बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरी के नाम से पेट्रोल पंप खोलने की योजना थी। महंत नरेंद्र गिरि ने बताया था कि आनंद गिरि के नाम 1200 वर्ग गज जमीन का समझौता हुआ था और एनओसी भी ली गई थी। जब मुझे पता चला कि इस जगह पर पेट्रोल पंप नहीं चल पाएगा, तो मैंने उसे कैंसिल कर दिया। इससे आनंद गिरी नाराज हो गए।

900 साल पुराना अखाड़ा, 300 साल पुरानी गद्दी

निरंजनी अखाड़ा 900 साल पुराना है और बाघंबरी गद्दी 300 साल पुरानी हैं। नरेंद्र गिरि श्री पंचायती तपोनिधि निरंजन अखाड़े के प्रमुख और सचिव भी थे। उसने एक बार बताया था कि उसने बाघंबरी गद्दी की 8 बीघा जमीन बेच दी थी और उसका हिसाब कोर्ट को दे दिया था। दूसरी ओर, आनंद गिरी ने आरोप लगाया था कि 2012 में नरेंद्र गिरि ने आठ बीघा गद्दी जमीन तत्कालीन सपा विधायक को 40 करोड़ रुपये में बेची थी। यह जमीन प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में है।

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