डेस्क न्यूज़- बलवीर पुरी प्रयागराज के बाघंबरी गद्दी मठ के नए महंत बने हैं। देश भर से आए पंच परमेश्वर और कई अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने उन्हें चादर और तिलक से ढककर आशीर्वाद दिया। बाघंबरी गद्दी के साथ ही लेह हनुमान मंदिर की जिम्मेदारी महंत बलवीर को मिली है। चादर विधि पूर्ण होने के बाद बलवीर पुरी सबसे पहले अपने गुरु नरेंद्र गिरि की समाधि पर गए और उनका आशीर्वाद लिया।
बलवीर के महंत बनने के बाद निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए। अब तक की जांच में यह साबित हुआ है कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है। अब नए महंत बलवीर पुरी महाराज हैं इसलिए उन्हें अपना समर्थन और आशीर्वाद दें। उन्होंने कहा कि आज से यह मठ बलवीर पुरी के हाथ में है। मुझे आशा है कि वे मठ की गरिमा और वैभव को बनाए रखेंगे।
बलवीर शुरू से ही उनके नाम पर 'पूरी' लगाते रहे हैं। लेकिन अब श्री बाघंबरी गद्दी के नए महंत बनने के बाद उनके नाम के साथ 'गिरि' जुड़ गया है। दरअसल, श्री बाघंबरी गद्दी मठ की स्थापना 1982 में श्री निरंजनी अखाड़े के महात्मा बाबा बाल किशन गिरी ने की थी। इस गिरि को एक नागा साधु का आसन माना जाता है। इसी वजह से अब महंत बनने के बाद बलवीर के नाम 'गिरि' की उपाधि मिल गई है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि चाहते थे कि उनकी षोडशी के दिन यानी आज बलवीर पुरी को बाघमबरी गद्दी मठ का नया महंत बनाया जाए। इसी कारण उनकी मृत्यु के ठीक 10 दिन बाद बिल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत बलवीर पुरी को बाघंबरी गद्दी का महंत घोषित किया गया। यह घोषणा 30 अगस्त को हरिद्वार में आयोजित पंच परमेश्वर की बैठक में की गई। तय हुआ कि 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरि की षोडशी के दिन उनकी चादर विधि की जाएगी।
चादर विधि कार्यक्रम आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज एवं अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी की उपस्थिति में हुआ। श्री निरंजनी अखाड़ा सचिव रवींद्र पुरी ने बताया कि जब किसी अखाड़े का नया उत्तराधिकारी घोषित किया जाता है तो चादर पद्धति से उसे महंत बनाया जाता है। यह हमारे अखाड़ों की परंपरा रही है। जिस दिन अखाड़े का महंत होता है, उसी दिन नए महंत की चादर विधि भी की जाती है।
नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। उन्होंने अपनी वसीयत में बलबीर पुरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। हालांकि, यह वसीयत उनके द्वारा तीन बार बदली गई थी। इससे पहले नरेंद्र गिरि ने 2010 में बलवीर पुरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। 2011 में, आनंद गिरी को उनके उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया गया था। पिछले साल आनंद गिरी से विवाद के बाद उन्होंने 2 जून 2020 को बलबीर पुरी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
बलवीर गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के करीबी शिष्यों में से एक थे। 1998 में वह निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए। उनका 2001 में नरेंद्र गिरि से संपर्क हुआ था। उस समय नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे। इसके बाद बलवीर गिरि ने अखाड़े में नरेंद्र गिरि से दीक्षा ली और उनके शिष्य बने। धीरे-धीरे नरेंद्र को गिरि का करीबी और भरोसेमंद सहयोगी माना जाने लगा। जब नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े की ओर से बाघमबरी गद्दी के पीठाधीश्वर के रूप में प्रयागराज आए, तो बलवीर भी उनके साथ यहां आए। नरेंद्र गिरी ने सहयोगी के रूप में बलवीर को जो भी जिम्मेदारी सौंपी, उसे उन्होंने पूरी लगन और निष्ठा से निभाया।
नरेंद्र गिरि पूरी तरह से उन पर निर्भर थे और भरोसा करते थे। कुंभ और बड़े-बड़े त्योहारों के दौरान अखाड़े और मठ से आने वाले लाखों रुपये बलवीर के पास ही रखे जाते थे। यह पैसा बलवीर की देखभाल में खर्च किया गया। इस साल आयोजित हरिद्वार कुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया था। आनंद गिरि से विवाद और बढ़ती दूरी ने बलवीर गिरि को नरेंद्र गिरि के करीब बना दिया।