'रस्सी जल गई पर बल नहीं गया' ये कहावत बिलकुल सटीक साबित होती है महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए। उद्धव के हाथ से सत्ता चली गई, पार्टी का नाम और चिन्ह चला गया फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहें हैं।
हाल ही में महाराष्ट्र के रत्नागिरी के खेड़ गाँव में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को लेकर विवादित टिप्पणी की है। यही नहीं, उद्धव ठाकरे अब हिन्दुओं के खिलाफ घृणा फैलाने पर उतर आये है।
उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को 'चूना लगाओ आयोग' बताते हुए कहा कि “चुनाव आयोग ‘चूना लगाओ आयोग’ है और सत्ता में बैठे लोगों का गुलाम है। जिस सिद्धांत के आधार पर चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया, वह गलत है। चुनाव आयोग ने हमसे पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न छीन लिया है, लेकिन वह शिवसेना को मुझसे नहीं छीन सकते।”
उद्धव ने गोमूत्र पर विवादित बयान देते हुए कहा, “क्या हमारे देश को गोमूत्र छिड़कने से आजादी मिली थी? क्या ऐसा हुआ था कि गोमूत्र छिड़का गया और हमें आजादी मिली? ऐसा नहीं था, स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया था। तब कहीं जाकर हमें आजादी मिली थी।”
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को कोसते हुए कहा कि “सरकार तो सही चल रही थी लेकिन टूटी क्यों? सरकार इसलिए टूटी क्योंकि हमारे साथ धोखा किया गया। हमारे विधायकों को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। हम सबने मिल कर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। केजरीवाल मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने कहा है कि बहुत हो रहा है, हमें अब एक होना होगा। मैंने कहा है कि मैं तैयार हूँ।”