फर्जी RT-PCR रिपोर्ट बनवाना है अपराध, फर्जी रिपोर्ट बनवाई तो मुश्किल में फंसेंगे, जानें क्या और कितनी हो सकती है सजा

कोरोना की तीसरी लहर के खौफ के बीच हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर लगातार लोगों की भीड़ लग रही है. कोरोना नियमों के उल्लंघन के बाद राज्य सरकारों ने सख्ती बढ़ा दी है. उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर पहुंचने वाले लोगों के लिए कोविड प्रोटोकॉल जारी किया गया है। पर्यटकों के लिए 72 घंटे पहले का नेगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है
फर्जी RT-PCR रिपोर्ट बनवाना है अपराध, फर्जी रिपोर्ट बनवाई तो मुश्किल में फंसेंगे, जानें क्या और कितनी हो सकती है सजा

कोरोना की तीसरी लहर के खौफ के बीच हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर लगातार लोगों की भीड़ लग रही है. कोरोना नियमों के उल्लंघन के बाद राज्य सरकारों ने सख्ती बढ़ा दी है. उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर पहुंचने वाले लोगों के लिए कोविड प्रोटोकॉल जारी किया गया है। पर्यटकों के लिए 72 घंटे पहले का नेगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। जो पर्यटक यह रिपोर्ट अपने साथ नहीं ला रहे हैं उन्हें पर्यटन स्थलों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। इस बीच कई लोग ऐसे भी हैं जो फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट बनाकर पर्यटन स्थलों पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में इन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है.

फर्जी रिपोर्ट बनवाई तो मुश्किल में फंसेंगे

फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट बनवाना आईपीसी और आपदा

प्रबंधन अधिनियमों के तहत दंडनीय है। वकीलों का कहना है कि

ऐसा करने पर आईपीसी की सेक्शन में 419 (प्रतिरूपण द्वारा

धोखाधड़ी के लिए सजा), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 467

(मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और

471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना) शामिल हो सकते हैं।

धारा 120 (बी) भी लागू हो सकती है यदि जाली रिपोर्ट के उपयोग में एक सहयोगी है।

तीन से 10 साल तक हो सकती है सजा

भारतीय दंड संहिता की सेक्शन 419 के अनुसार, जो भी कोई प्रतिरूपण के जरिये धोखाधड़ी करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए जेल जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक जुर्माना, या दोनों लगाया जा सकता है। वहीं, सेक्शन 420 में सात साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। फर्जी रिपोर्ट मामले में यदि सेक्शन 467 के तहत अपराध साबित होता है तो 10 साल तक की जेल हो सकती है। सेक्शन 471 के तहत दो साल तक की सजा का प्रावधान है। सेक्शन 120 बी के तहत छह महीने की कैद या जुर्माना दोनों हो सकता है।

फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के साथ पकड़े गए 13 लोग

कुछ दिन पहले उत्तराखंड पुलिस ने देहरादून और मसूरी से 13 लोगों को फर्जी आरटी-पीसीआर टेस्ट के साथ पकड़ा था। इस मामले की जांच के बाद फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में अब तक करीब 100 ऐसी आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट पकड़ी जा चुकी है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने राज्य के आशोड़ी चेकपोस्ट पर 25 यात्रियों को फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के साथ पकड़ा.

पूरे परिवार की बनाई फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट

पर्यटक स्थलों पर बिना जांच के आने वाली भीड़ को रोकने के लिए बनाए गए चैकिंग बैरियर पर चेकिंग के दौरान एक व्यक्ति को फर्जी आरटी-पीसीआर के साथ पकड़ा गया। यह शख्स मसूरी घूमने के लिए पूरे परिवार की फर्जी रिपोर्ट लेकर आया था। गाजियाबाद से आए इस परिवार को पुलिस ने देहरादून शहर में प्रवेश करते अशारोडी चेक पोस्ट पर पकड़ लिया। बुधवार को ही तीन अन्य लोगों को भी फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के साथ पकड़ा गया था। सभी पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है।

412 लोगों को मसूरी से लौटाया

पर्यटन केंद्रों में भीड़ न होने देने के निर्देश के बाद मसूरी के केंपटी फॉल से बुधवार को 412 सैलानियों को कोरोना जांच रिपोर्ट नहीं होने पर पुलिस ने वापस लौटा दिया। केंपटी के थानाध्यक्ष नवीन चंद्र जुराल ने बताया कि बुधवार को कोरोना जांच, होटल बुकिंग और स्मार्ट सिटी पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले 93 वाहनों के 412 सैलानियों को कैंपटी से वापस लौटाया गया।

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