डेस्क न्यूज़- नकली भारतीय नोटों की खेप जो स्पेशल सेल ने पकड़ी है वह कालियाचक से आई है। कालियाचक एक अनसुना नाम है, लेकिन दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के स्क्रीन पर देश में नकली नोटों पर नकेल कसने के लिए बदनाम है। कालियाचक पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में बांग्लादेश की सीमा पर है। इसकी आबादी लगभग 7 हजार है। ज्यादातर लोग नकली नोटों के कारोबार से जुड़े हैं। नोटबंदी के कारण कालियाचक पहले से ही कंगाल हो गया था, लेकिन अब बांग्लादेश के रास्ते फिर से बस गया है। नकली नोटों के साथ-साथ अब अवैध हथियार और ड्रग की खेप भी यहीं से मिलने लगी है। नकली नोट कालियाचक ।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश से सीमा
पार कर देश में इस्तेमाल होने वाले नकली नोटों में
कुछ सिक्योरिटी फीचर्स की नकल की गई है, लेकिन
केमिकल कंपोजिशन का तोड़ नही निकल पाया हैं। विमुद्रीकरण के कारण, अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट के आईएसआई जैसे
आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं। उनकी मदद से नकली नोट नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजे जाते हैं।
जाली नोटों के सिंडिकेट की मालदा के कालियाचक, वैष्णानगर, चंचल, हरिश्चंद्रपुर थाना क्षेत्रों में गहरी जड़ें हैं। जाली नोटों की खेप की बोली भारत के सीमा में प्रवेश करते ही लग जाती है। कालियाचक में नकली नोटों के व्यापारी इसे पूरे देश में ले जाते हैं। ये लोग सड़क से ज्यादा रेल मार्ग को पसंद करते हैं। नकली नोटों के इस्तेमाल के मास्टरमाइंड शाहजहाँ शेख उर्फ टुनू का नाम सबसे ऊपर आता है। उनका कैरियर बिहार, झारखंड, दिल्ली के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में सक्रिय है। नकली नोटों के साथ ही वह सोने की तस्करी में भी शामिल रहा है।
स्पेशल सेल ने आठ लाख रुपये की नकली भारतीय मुद्रा पकड़ी है। नकली करंसी इसलिए खास है क्योंकि यह पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से सटे कालियाचक से आई है। दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में इसे खपाया जाना था। स्पेशल सेल ने 29 वर्षीय अब्दुल रहीम को भी गिरफ्तार किया है, जिसे नकली मुद्रा के अंतरराष्ट्रीय रैकेट में एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया जाता है। वह मूल रूप से मालदा के कालियाचक का रहने वाला है। स्पेशल सेल की टीम ने इनपुट के आधार पर अब्दुल को आनंद विहार रेलवे स्टेशन के बाहर से पकड़ा। पकड़े गए नकली नोट 2000 और 500 के हैं।
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव के मुताबिक, पिछले कुछ समय से लगातार इनपुट्स मिल रहे थे कि नकली नोट भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते दिल्ली भेजे जा रहे हैं। पुलिस इस गिरोह के बारे में जानकारी जुटाने में लगी हुई थी। 16 अप्रैल को अब्दुल रहीम के बारे में जानकारी मिली। उसे ट्रेस करना शुरू किया और उसे गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने कहा कि तीन साल पहले वह नसरुद्दीन नामक व्यक्ति के घर पर कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा था।
उसने नकली नोटों के कारोबार में शामिल होने की पेशकश की। बताया कि आपको प्रति डिलीवरी तीन हजार रुपये मिलेंगे। वह सहमत हो गया और नसरुद्दीन के लिए काम करने लगा। नसरुद्दीन भारत-बांग्लादेश सीमा के पास नकली नोटों की आपूर्ति करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट से अब्दुल रहीम को रुपये की खेप देता था। इसके बाद वह दिल्ली में इस धंधे से जुड़े लोगों को नकली नोट भेजता था। पिछले कुछ महीनों से अब्दुल अपना हिस्सा एक लाख रुपये के रूप में आठ लाख रुपये में ले रहा था। तालाबंदी के समय उनका व्यवसाय रुक गया था, लेकिन अब ऐसे गिरोह फिर से सक्रिय हो गए हैं।