म्यांमार की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सु की और राष्ट्रपति विन मिंट तथा सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य सदस्यों को सोमवार को हिरासत में लेने के बाद एक साल के लिए देश में आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रथम उपराष्ट्रपति यू मिंट स्वे द्वारा हस्ताक्षरित घोषणा पत्र में सैन्य स्वामित्व वाली
मायवाडी टीवी पर आपातकाल की घोषणा की गई, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अब म्यांमार के कार्यकारी
राष्ट्रपति के रूप में कौन अपनी सेवाएं देंगे।
घोषणा के मुताबिक सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग हलिंग देश की सत्ता अपने हाथों में लेने जा रहे हैं। दूसरी
तरफ अमरीका ने म्यांमार की सेना से हिरासत में लिए गए स्टेट काउंसलर आंग सान सु की और
राष्ट्रपति तथा सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को रिहा करने को कहा है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी है।
म्यांमार में कितनी ताकतवर है सेना?
म्यांमार की राजनीति में सेना का हमेशा से ही दबदबा रहा है. साल 1962 में तख्तापलट के बाद से सेना ने देश पर
करीब 50 सालों तक प्रत्यक्ष रूप से शासन किया है. म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग तेज होने पर साल
2008 में सेना नया संविधान लाई.
इस नए संविधान में लोकतांत्रिक सरकार और विपक्षी दलों के नेता को जगह दी गई लेकिन सेना की स्वायत्तता और
वर्चस्व को बनाए रखा गया. नए चार्टर के तहत, सेना प्रमुख को अपने लोगों की नियुक्ति करने और सैन्य मामलों
में अंतिम फैसला करने का अधिकार दिया गया था. आसान शब्दों में कहें तो सेना प्रमुख को किसी के प्रति जवाबदेह नहीं बनाया गया था.
पिछले कई महीनों से चीन से चल रहे टकराव के बीच एक बार फिर रक्षा बजट में इजाफा किया गया है।
वही : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आम बजट पेश किया। वित्त मंत्री ने डिफेंस
यानी रक्षा बजट के लिए 4,78,195.62 करोड़ रुपए जारी किए। इसमें 1,15,850 करोड़ रुपए की
पेंशन शामिल हैं।
लगातार यह 7वां साल है, जब मोदी सरकार ने डिफेंस बजट बढ़ाया है। इससे पहले 2020 में रक्षा बजट 4.71 लाख करोड़ रुपए था। चीन और पाक जैसे खुराफाती पड़ोसियों की वजह से भारत को हर साल रक्षा बजट पर एक भारी-भरकम रकम खर्च करनी पड़ती है। पिछले कई महीनों से चीन से चल रहे टकराव के बीच एक बार फिर रक्षा बजट में इजाफा किया गया है।
इसमें से करीब 20,776 करोड़ रक्षा आधुनिकीकरण के मद में बढ़ाए गए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया, जिसमें रक्षा क्षेत्र के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है। इसमें से करीब 20,776 करोड़ रक्षा आधुनिकीकरण के मद में बढ़ाए गए हैं।
इस बार रक्षा बजट में भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए आबंटित राशि में कमी हुई है। यह माना जा रहा है कि पेंशन लेने वालों की संख्या में कमी होने की वजह से पेंशन की राशि में कमी हुई हो सकती है। हालांकि रक्षा मंत्रालय की तरफ से अभी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बताया गया है