बिहार में बुधवार को नीतीश कुमार ने महागठबंधन की नई सरकार के मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल फागू चौहान ने दोपहर दो बजे शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह से भारतीय जनता पार्टी दूर रही। भाजपा ने नीतीश कुमार के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को छलावा बताते हुए इसके खिलाफ सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया है।
बिहार में 17 साल तक सत्ता के प्रभारी रहे नीतीश कुमार बुधवार को आठवीं बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए। यह बिहार की राजनीति में अपने आप में एक रिकॉर्ड है। नीतीश कुमार भले ही अपने दम पर सरकार नहीं बना पाए हों, लेकिन बिहार की सत्ता की धुरी जरूर बने हुए है। इसी का नतीजा है कि नीतीश कुमार एनडीए तो कभी महागठबंधन से हाथ मिला कर सत्ता में बने हुए हैं। नीतीश कुमार की नयी सरकार विधानसभा में 24 या 25 अगस्त को बहुमत साबित करेगी।
बिहार में मौजूदा विधायकों की संख्या के मुताबिक मुख्यमंत्री को छोड़कर 35 मंत्री बन सकते हैं। बिहार में कुल विधायकों की संख्या 243 है। इनमें से 164 विधायकों ने नीतीश कुमार को समर्थन दिया है। हालांकि वामदलों ने सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है, वे सिर्फ बाहर से महागठबंधन को समर्थन देंगे। ऐसे में 143 विधायक ही सीधे तौर पर सरकार का हिस्सा रहेंगे। इनमें से अधिकतम 35 को मंत्री बनाया जा सकता है। यानी कि चार विधायकों पर एक विधायक का फॉर्मूला लागू हो सकता है। आरजेडी कोटे से सबसे ज्यादा 16 मंत्री बनाए जा सकते हैं। वहीं जेडीयू कोटे से 13 मंत्री बनने की चर्चा है। इसके अलावा कांग्रेस से अधिकतम चार, जीतनराम मांझी की हम से एक मंत्री बनाया जा सकता है।
नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ लेने के बाद बीजेपी पर तीखे तेवर करते हुए कहा कि '14 में जो आए थे, वो 24 तक आगे रह पाएंगे कि नहीं...'
शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि अगर सुशील मोदी उनके साथ बने रहते तो आज ये नौबत नहीं आती। एनडीए की सरकार में सुशील मोदी एवं नीतीश कुमार को साथ काम करने का लंबा अनुभव था। दोनों के बीच अच्छी बान्डिंग रही। मीडिया से बातचीत में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मेरे साथ बीजेपी ने जो भी किया, वह ठीक नहीं था। इस कारण बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन में आने का फैसला करना पड़ा।
"भाजपा ने जो किया है, उसी का फल भुगत रही है। कैसे सरकार को खरीदा और अहंकार का प्रदर्शन किया है, यह छिपा नहीं है। बिहार में जो चल रहा था और जो हुआ है, वह अचानक नहीं हुआ। नीतीश कुमार जी का कोई वादा भाजपा ने पूरा नहीं किया। उलटे यह और कहा कि अब हम सबको खत्म कर देंगे और सिर्फ बीजेपी होगी। अब भाजपा ही अकेली रही गई है। कुल मिलाकर लोग बहुत खुश हैं। असल में, वे यही कह रहे हैं कि भाजपा के साथ वही हुआ जो वह वर्षों से कर रही है। 'जैसा तुम बोओगे, वैसा ही काटोगे'। उन्होंने इसे मध्य प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र में अपनी धन शक्ति के माध्यम से किया है ... अब उन्हें जैसा का तैसा मिला।
नीतीश कुमार उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे। हमने 2000 में उन्हें सबको अलग कर मुख्यमंत्री बनाया। अब साजिश क्यों करेंगे।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गुजरात पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ''बिहार में जो घटनाएं घट रही हैं वह दिखाता है कि भाजपा बहुत अहंकारी होती जा रही है। उसके अहंकार की वजह से जनता भी उससे दुखी होती जा रही है देशभर में और सहयोगी दल भी साथ छोड़ रहे हैं। शिवसेना ने उनका साथ छोड़ दिया। अकाली दल ने साथ छोड़ दिया, जेडीयू ने साथ छोड़ दिया। अहंकार तो रावण का भी नहीं चला था। आप सत्ता में आते हो तो एक चीज सबसे जरूरी होती है कि आपको विनम्र रहना होता है। आपको जनता के सामने हाथ जोड़कर, लोगों के सामने पूरी विनम्रता के साथ काम करना होता है। अहंकार हो जाता है तो आपका पत्तन शुरू हो जाता है।''
बिहार में जो हुआ वो ऑपरेशन लोटस से कितना अलग है। न कैश पकड़ा गया, न ED की छापेमारी हुई। न असम के CM की जरूरत पड़ी, न रिजॉर्ट की।
देवेंद्र फडणवीस ने ठाणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भाजपा बिहार में फिर से वापसी करेगी। उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी ने कभी किसी को पीछे से खंजर नहीं भोंका। अभी जरूर ऐसा लग रहा है कि हार हो रही है लेकिन भाजपा वापसी करेगी। उन्होंने कहा कि जेडीयू के कम सीट जीतने के बाद भी भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था।
महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राबड़ी देवी ने इसे बिहार के लिए अच्छा बताया। बहु राजश्री को लेकर कहा कि उसके घर में आने के बाद सरकार बनी है।