डेस्क न्यूज़: भारत में कोरोना संकट तो था ही लेकिन अब महंगाई दर भी अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। मई महीने में थोक मूल्य आधारित महंगाई (WPI) 12.94 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल माह में थोक महंगाई दर 10.49 फीसदी थी, जो लगातार दो महीने बाद दोहरे अंक को पार कर 12.94 फीसदी पर पहुंच गई है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मई 2020 में थोक महंगाई दर पिछले साल -3.37 फीसदी थी। सरकार के मुताबिक बेस इफेक्ट और कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ अन्य मिनरल ऑयल और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ी है।
थोक महंगाई बढ़ने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें भी हैं। तेल के दाम बढ़ने से दालों में 12.09 फीसदी, प्याज में 23.24 फीसदी, फल में 20.17 फीसदी, तिलहन में 35.94 फीसदी की तेजी आई है। हालांकि, इसमें तेल की कीमत के अलावा अन्य आर्थिक कारक भी शामिल हैं। कच्चे पेट्रोलियम की कीमत में 102.51 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, पेट्रोल के दाम में 62.28 फीसदी, डीजल में 66.3 फीसदी और सब्जियों के दाम में 51.71 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते अप्रैल 2021 में थोक महंगाई दर 10.49 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि मार्च 2021 के मुकाबले इसमें करीब 7.39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब मई माह में महंगाई दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में थोक महंगाई दर महज 3.1 फीसदी थी, जबकि फरवरी में थोक महंगाई दर 4.17 फीसदी थी।
थोक महंगाई दर में लगातार हो रही बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है। कोरोना महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। ऐसे में मध्यम वर्ग के लिए महंगाई एक नई समस्या बन गई है। मध्यम वर्ग के लिए, किराने के सामान की कीमत में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कि दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है। खाद्य तेल भी करीब 50 फीसदी महंगा हो गया है।