डेस्क न्यूज़ – वैक्सीन पर विवाद : कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर तेजी से काम चल रहा हैं।
वैक्सीन का ड्राई रन भी शुरु हो गया हैं।
इसके साथ ही ड्रग रेगुलेटर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए 3 जनवरी को कोवीशील्ड और कोवैक्सिन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी हैं।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड (Covishield) के तो फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे भी आ गए हैं। हालांकि कोवैक्सिन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं।

वही जिस तरह से ड्रग रेगुलेटर ने दोनों वैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ के लिए अप्रूवल दिया है। अब उस पर विवाद खड़ा हो गया हैं।
अब उस पर सवाल उठ रहे हैं।
बड़ा बवाल तो कोवैक्सिन को लेकर हो रहा हैं।
अब तक कोवैक्सिन को लेकर किसी को लेकर किसी को पता नही हैं कि यह कितनी असरदार है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार इमरजेंसी अप्रूवल देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी गई।
क्या हैं आपत्ति ?
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ बायो-एथिक्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनंत भान का कहना हैं कि सिर्फ चीन और रूस ने ही फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे आने से पहले वैक्सीन अप्रूव की है।
क्योकि भारत ने भी ऐसा ही किया है।
जिस वजह से रेगुलेटरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता कठघरे में है।
इसके अलावा ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क की मालिना आईसोला के अनुसार वैक्सीन को किस नियम के तहत अप्रूव किया गया है, इसकी जानकारी ही नहीं दी है।
वैक्सीन से जुड़ी शर्तों के बारे में भी नहीं बताया गया है।
एपिडेमियोलॉजिस्ट गिरिधर बाबू कहते है कि अगर कोवैक्सिन का इस्तेमाल अब भी क्लीनिकल ट्रायल्स की तरह ही होगा, तो सहमति लेने की प्रक्रिया क्या होगी?
इस तरह के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स के एडिटर डॉ. अमर जेसानी ने बताया कि SEC ने कोवैक्सिन को मंजूरी देने के मुद्दे पर कोई डेटा पेश नहीं किया है।
बिना किसी ड़ेटा के कैसे पता चलेगा कि वैक्सीन पूरी तरह से सेफ और इफेक्टिव है या नही।
विशेषज्ञों का क्या कहना हैं ?
देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट्स में से एक डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि रेगुलेटरी ने जिस प्रकार से इमरजेंसी यूज़ के लिए अप्रूवल दिया हैं।
उसकी प्रक्रिया से ही कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है।
वही उनका कहना हैं कि अगर कोवैक्सिन (Covaccine) को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है तो उसका क्लीनिकल ट्रायल मोड में इस्तेमाल कैसे होगा? इससे पहले ऐसा कभी नही हुआ हैं।
तो अब कैसे हो सकता हैं। अगर असर का पता चलने के बाद अप्रूवल देते तो कोई समस्या नही थी।
उनका कहना है कि कोवीशील्ड (Covishield) के SII ट्रायल्स को फेज-2/3 ट्रायल्स कहा जा रहा है।
पर इसमें वहीं सब है जो दुनियाभर में फेज-2 ट्रायल्स में होता है।
यानी इसमें सेफ्टी और इम्युनोजेनेसिटी देखी जा रही है, उसके असर का एनालिसिस नहीं हो रहा है।
अगर किसी ने पूछ लिया कि हमारा अप्रूवल चीन और रूस से किस तरह अलग है, तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है।