डेस्क न्यूज – इलेक्शन कमीशन ने बुध के रोज़ बताया कि इस साल अप्रैल-मई में होने वाले असम विधानसभा चुनावों में वे लोग भी वोट डाल सकेंगे जिनका नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में नहीं है।
हालांकि वोटर लिस्ट में नाम होना लाज़मी है।
ख़बरों के मुताबिक चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुनील अरोड़ा ने कहा कि 29 अगस्त 2019 के मरकज़ी वज़ारते दाखिला के नोटिफ़िकेशन में साफ है
कि जिसका भी नाम NRC में नहीं है उसका यह मतलब नहीं है कि वो शख्स गैर मुल्की ऐलान हो चुका है।
इलेक्शन कमिश्नर ने आगे कहा कि इस तरह का कोई भी शख्स जिसका नाम वोटर लिस्ट में है वो वोटिंग कर सकता है।
जब तक कि ट्रिब्यूनल उसको लेकर कोई फैसला न दे।
बता दें कि 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित हुई असम की एनआरसी की अपडेटेड सूची में 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं था
चुनाव आयोग की एक टीम असम में चुनावी तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर
चीफ इलेक्शन कमिश्नर की कयादत (नेतृत्व) में चुनाव आयोग की एक टीम असम में चुनावी तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर थी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग राज्य में आजाद, गैर जानिबदाराना (निष्पक्ष),
पुरअम्न (शांतिपूर्ण), पारदर्शी, नैतिक और COVID से महफूज़ चुनाव कराने के लिए पुरअज़्म (प्रतिबद्ध) है।
कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछे थे 24 सवाल
असम में कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) सरीखे मुद्दों पर 24 सवाल दागे
और राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने में विफल रहने पर सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस ने कहा कि राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी उद्योग के विकास में बाधक हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने एक संवाददाता सम्मेलन में प्रश्नों को उठाया।
गौरतलब है कि असम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और प्रधानमंत्री शनिवार को राज्य का दौरा करने वाले हैं।
बोरा ने कहा कि सीएए लागू कर प्रधानमंत्री ने असम के मूल निवासियों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है।