10 फरवरी 1921 को, ड्यूक ऑफ कनॉट ने इंडिया गेट की नींव रखी। इसे आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। यह 12 फरवरी 1931 को पूरा हुआ था। प्रसिद्ध वास्तुकार एके जैन कहते हैं कि इंडिया गेट और फ्रांस के आर्क ऑफ विक्ट्री में बहुत समानताऐं है। आर्क ऑफ विक्ट्री इंडिया गेट से 100 साल पुरानी है।
लुटियन ने नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा की रूपरेखा तैयार की, और इसके पूर्व में इंडिया गेट को स्थापित किया।
रायसीना हिल्स के एक तरफ सेंट्रल विस्टा और दूसरी तरफ नहर थी। सेंट्रल विस्टा की चौड़ाई 600 मीटर है।
इसके ठीक बीच में राजपथ है। वहीं, इंडियागेट की संरचना की बात करें तो यह 42 मीटर ऊंचा और 9.1 मीटर चौड़ा है।
यह लाल और पीले सैंडस्टोन से बना है। पत्थर राजस्थान के भरतपुर से लाए गए थे।
इंडिया गेट का पूरा परिसर 400 एकड़ में फैला हुआ है।
इंडिया गेट पर सैनिकों के नाम
एके जैन बताते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध 1914 में शुरू हुआ था।
भारत के लगभग एक लाख सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था, जिसमें से 60 हजार से अधिक सैनिक मारे गए थे। जब विश्व युद्ध समाप्त हुआ,
तो वायसराय लॉर्ड हार्डिग ने सैनिकों की याद में एक स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा। इस तरह इंडियागेट पर सैनिकों के नाम चिह्नित किए गए।
लुटियन की योजना यहां एक झील बनाने की थी जो यमुना से जुड़ी होगी, लेकिन चूंकि यह योजना बहुत महंगी थी,
इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सका।
समारोह आयोजित करने की योजना
एके जैन का कहना है कि ब्रिटिश सरकार चाहती थी
कि सरकार संबंधी कार्यक्रम भव्यता के साथ आयोजित किए जाएं,
इस वजह से खुले मैदान को इंडियागेट के आसपास रखा गया है और इस वजह से विभिन्न रियासतों के राजाओं को
इंडिया गेट के आसपास भूमि आवंटित की गई थी। इस विचार के कारण जोधपुर हाउस, बड़ौदा हाउस,
हैदराबाद हाउस, जयपुर हाउस आदि अस्तित्व में आए