डेस्क न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही बोर्ड द्वारा छात्रों के परीक्षा पैटर्न के मूल्यांकन के लिए लाई गई मूल्यांकन योजना को आगे बढ़ाने की भी अनुमति दी गई है।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने बुधवार को सीबीएसई कंपार्टमेंट, निजी परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले 1152 छात्रों की याचिका पर भी सुनवाई की। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य और केंद्रीय बोर्ड को एक ही नियम में नहीं बांधा जा सकता। प्रत्येक बोर्ड के अपने नियम और कानून होते हैं और उसके अनुसार मूल्यांकन नीति तय करने का अधिकार होता है। इसके साथ ही छात्रों को कोरोना महामारी में सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी है। इसलिए परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती है।
छात्रों और अभिभावकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि अब कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है। इस मामले में फिजिकल एग्जाम आयोजित किए जाने चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि एक वरिष्ठ गणित शिक्षक भी आईसीएसई और सीबीएसई के मूल्यांकन के लिए तैयार किए गए फॉर्मूले को नहीं समझ पा रहा है, फिर छात्र कैसे समझेंगे।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि दोनों केंद्रीय बोर्डों के 12वीं के मूल्यांकन मानदंड में समानता होनी चाहिए. साथ ही परिणाम की घोषणा भी साथ-साथ होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने दोनों बोर्डों द्वारा रखे गए मानदंडों को स्वीकार कर लिया है। सुनवाई के दौरान बोर्ड ने बताया कि 31 जुलाई को परिणाम घोषित किया जाएगा। साथ ही स्थिति सामान्य होने पर 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच परीक्षाएं कराई जा सकती हैं। ऑप्शनल एग्जाम में मिले अंकों को ही फाइनल माना जाएगा।