डेस्क न्यूज़- असम में भाजपा की चुनावी जीत के एक हफ्ते बाद, हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राज्य के 15 वें मुख्यमंत्री के पद की जिम्मेदारी संभाली हैं। उन्हें राज्यपाल जगदीश मुखी ने शपथ दिलाई। इसी के साथ श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में एक नए मंत्रिमंडल की शपथ ली गई। इसमें सरमा कैबिनेट के 13 मंत्री शामिल हैं। इससे पहले रविवार को, हिमंत को सर्वसम्मति से भाजपा और एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। सरमा के साथ, कई मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई। नई सरकार ने ली शपथ ।
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्रिमंडल ने
भी शपथ ली । इसमें कुल 43 मंत्री शामिल हैं।
राजभवन में कोविड के दिशानिर्देशों का पालन
करने के लिए सभी कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र
प्रभार, राज्य मंत्रियों को
शपथ दिलाई गई। डॉ. अमित मित्र और ब्रत्य बसु सहित तीन मंत्रियों ने पद की वर्चुयली शपथ ली।
हालांकि, विभाग के विभाजन पर निर्णय बाद में लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित थीं।
हाल के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने 213 सीटें जीती हैं। वहीं, बीजेपी ने 77 सीटें जीतीं। तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने 5 मई को तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
बिस्वा को पूरे पूर्वोत्तर में काफी प्रभावी माना जाता है। सोनोवाल सरकार में, उन्होंने वित्त, योजना और विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शिक्षा और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला हैं। केंद्रीय नेतृत्व के शीर्ष नेताओं के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं। ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि भाजपा को असम की कमान बिस्वा को सौंपने का दबाव था।
बिस्वा ने 2015 में कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। माना जाता है कि अमित शाह उस समय बिस्वा के राजनीतिक प्रबंधन कौशल से प्रभावित हुए थे। बिस्वा को उत्तर-पूर्व में भाजपा के विस्तार में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमित शाह ने भी इस बात को स्वीकार किया हैं।
असम में तीन चरणों में हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। यह आंकड़ा बहुमत से अधिक है। भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया है, क्योंकि इससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।