केरल में 500 साल से चल रहा लॉटरी का धंधा: हर दिन छप रहे 7 करोड़ टिकट, कई लोग हो रहे बर्बाद तो कई मालामाल

लॉटरी तो आप सभी जानते होंगे। लॉटरी निकलती है, आप टिकट खरीदते है और फिर अपनी किस्मत आजमाते है। लेकिन क्या आपको पता है की ये लॉटरी के टिकट कहाँ से आते है ? इन्हें कौन निकालता है और लॉटरी से सरकार को क्या मुनाफ़ा मिलता है।
केरल में 500 साल से चल रहा लॉटरी का धंधा: हर दिन छप रहे 7 करोड़ टिकट, कई लोग हो रहे बर्बाद तो कई मालामाल

लॉटरी तो आप सभी जानते होंगे। लॉटरी निकलती है, आप टिकट खरीदते है और फिर अपनी किस्मत आजमाते है। लेकिन क्या आपको पता है की ये लॉटरी के टिकट कहाँ से आते है ? इन्हें कौन निकालता है और लॉटरी से सरकार को क्या मुनाफ़ा मिलता है। अगर नहीं पता तो आइये जानते है…
आपको बता दें की, एक ऑटोचालक जयपालन को 12 करोड़ रुपये का जैकपॉट मिला और उसकी जिंदगी बिलकुल ही बदल गई है। कोच्चि निवासी 54 वर्षीय जयपालन ने ओणम की बंपर लॉटरी टिकट 300 रुपये में खरीदा था। जयपालन की तरह, केरल में लॉटरी ने कुछ लोगो को करोडपति बनाया है। लेकिन करोड़ों लोग इसके भ्रम में फंसे हुए हैं तो कई लोग इसके चक्कर में बर्बाद भी हुए है। केरल में यह धंधा करीब 500 साल से चल रहा है।

कब निकलते है लॉटरी के टिकट ?

देश के अधिकांश राज्यों में लॉटरी व्यवसाय के दुष्परिणामों के कारण प्रतिबंध लगा हुआ है। वहीं केरल सरकार 1967 से यह धंधा चला रही है। राज्य सरकार के लॉटरी विभाग के अधिकारियों का कहना है की – 'बम्पर लॉटरी के 54 लाख टिकट तुरंत बिक गए। इन टिकटों की बिक्री से 126 करोड़ रुपये आए। इस तरह की बम्पर लॉटरी साल के चार सबसे बड़े त्योहारों ओणम, विशु, क्रिसमस, दशहरा और मानसून और गर्मियों में निकलती है। टिकट की कीमत 100-300 रुपये के बीच होती है। पुरस्कार राशि करोड़ों में है। इसके अलावा प्रतिदिन अलग-अलग नामों से दैनिक लॉटरी के लिए 7 करोड़ लॉटरी टिकट छापे जाते हैं।

लॉटरी से सरकार को क्या मुनाफा ?

इनकी कीमत 30 रुपये और इनामी राशि 500 ​​रुपये से लेकर 75 लाख रुपये तक है। इससे प्रतिदिन 25 करोड़ रु. टर्नओवर होता है। केरल सरकार इस पैसे का उपयोग अपने सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए करती है। 1967 के बाद से केरल सरकार ने कभी लॉटरी नहीं हारी। तब लॉटरी की बिक्री से राज्य को 20 लाख का राजस्व मिला। 2019-20 में राजस्व 9,973 करोड़ और लाभ 1764 करोड़ था। पिछले साल लॉकडाउन की वजह से राजस्व गिरकर 4,911.5 करोड़ रुपये और मुनाफा 474 करोड़ रुपये रहा था।

लॉटरी टिकट बेचने में इन्हें ही जाती है प्राथमिकता

विकलांग लोगों को यहां लॉटरी बेचने को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसा ही एक शख्स राजू बताता है कि वह सुबह एजेंट से टिकट खरीदता है और कुछ ही देर में 100 से ज्यादा टिकट बिक जाता है। 100 टिकट बेचने पर उन्हें करीब 680 रुपये मिलते हैं। उनका कहना है कि लॉटरी टिकट बेचने को प्राथमिकता मिलने से उनके जैसे हजारों विकलांग घर चला रहे हैं।

एक एजेंट प्रतिदिन 200 टिकट बेचता है, पुरस्कार राशि में 10% हिस्सा

लॉटरी का अर्थशास्त्र सीधा और सरल है। 40,000 एजेंट विभाग से टिकट खरीदते हैं और ये टिकट लाखों खुदरा विक्रेताओं को देते हैं। एक विक्रेता प्रतिदिन 100-200 टिकट बेचता है। एजेंट को पुरस्कार राशि का 10% और 30 रुपये के टिकट के लिए 5.80 रुपये का कमीशन मिलता है। पुरस्कार राशि पर 30% कर लगाया जाता है। केरल में, संग्रह का 55% से अधिक पुरस्कार राशि के रूप में जाता है, 25% विक्रेता को और शेष राजकोष में जाता है। देश में 9 राज्यों में लॉटरी का कारोबार है। यह कारोबार 50 हजार करोड़ रुपये का है।

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